पटना। लोक जनशक्ति पार्टी में पावर और पद के सत्ता संघर्ष तेज हो गया है। मंगलवार को चिराग पासवान ने लोजपा कार्यसमिति की वर्चुअल बैठक ली। इस दौरान बड़ा फैसला लेते हुए चिराग पासवान ने बगावत करने वाले अपने चाचा पशुपति पारस समेत सभी 5 सांसदों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
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इसके बाद ही चिराग ने पार्टी के अध्यक्ष पद पर भी अपना दावा पेश किया है। इधर, एलजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में सूरजभान सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष चुन लिया है। माना जा रहा है कि पांच दिन के भीतर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा। फिलहाल, सूरजभान सिंह की अध्यक्षता में बैठक होगी। एक-दो दिन में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो सकती है। संसदीय दल के नेता के बाद अब चिराग पासवान को एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से भी हटाया दिया गया है।
सूरज भान को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। अगले दो-तीन दिनों में पटना में मीटिंग कर पशुपति पारस को एलजेपी का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इधर, लोजपा के भीतर मचे घमासान के बीच चिराग खेमा पार्टी और पावर बचाने की जद्दोजहद में जुट गया है।
चिराग पासवान ने शेयर किया पुराना पत्र
लोक जनशक्ति पार्टी में चल रही खींचतान के बीच अब पहली बार चिराग पासवान ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने एक ट्वीट कर पशुपति पारस को लिखे कुछ पुराने पत्र साझा किए। इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए मैंने प्रयास किए लेकिन असफल रहा। पार्टी मां के समान है और मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए. लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि है। आगे उन्होंने लिखा कि पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूं।
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अपने ट्वीट के साथ ही साझा किए गए पत्र वे हैं जो चिराग ने पशुपति पारस को 29 मार्च को लिखे थे। इन पत्रों में चिराग ने पारस को लिखा है कि रामचंद्र पासवान के निधन के बाद से ही आप में बदलाव देखने को मिला। पापा की तेरहवीं में भी 25 लाख रुपये मां को देने पड़े इससे मैं दुखी था। चिराग ने एक पत्र में लिखा है कि मैंने हमेशा भाइयों को साथ लेकर चलने की कोशिश की. पापा के जाने के बाद आपने बात करना बंद कर दिया। चिराग ने एक पत्र में आरोप लगाया है कि पापा के रहते हुए भी आपने पार्टी तोड़ने का प्रयास किया। वहीं प्रिंस राज पर रेप के मामले का जिक्र करते हुए चिराग ने कहा कि प्रिंस पर आरोप के दौरान भी मैं परिवार के साथ खड़ा रहा।