Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. लोकसेवकों को भ्रष्टाचार का दोषी ठहराने के लिए प्रत्यक्ष साक्ष्य अनिवार्य नहीं : Supreme Court

लोकसेवकों को भ्रष्टाचार का दोषी ठहराने के लिए प्रत्यक्ष साक्ष्य अनिवार्य नहीं : Supreme Court

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को कहा कि रिश्वत मांगे (Direct Evidence) जाने का सीधा सबूत न होने या शिकायतकर्ता की मृत्यु हो जाने के बावजूद भ्रष्टाचार निरोधक कानून (Anti-corruption Act) के तहत दोष साबित हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के 5 जजों की संविधान पीठ (Constitution Bench) ने माना कि जांच एजेंसी की तरफ से जुटाए गए दूसरे सबूत भी मुकदमे को साबित कर सकते हैं।

पढ़ें :- Benefits of eating coconut: डेली सुबह खाली पेट नारियल खाने से होते हैं शरीर, स्किन और बालों को ये फायदे

जानें क्या है भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम?

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम संशोधित विधेयक- 2018 (Prevention of Corruption Act Amendment Bill- 2018) में रिश्वत देने वाले को भी इसके दायरे लाया गया है। इसमें भ्रष्टाचार( Corruption) पर लगाम लगाने और ईमानदार कर्मचारियों को संरक्षण देने का प्रावधान है। लोकसेवकों (Public Servants) पर भ्रष्टाचार का मामला चलाने से पहले केंद्र के मामले में लोकपाल से तथा राज्यों के मामले में लोकायुक्तों से अनुमति लेनी होगी। रिश्वत देने वाले को अपना पक्ष रखने के लिये 7 दिन का समय दिया जाएगा, जिसे 15 दिन तक बढ़ाया जा सकता है। जांच के दौरान यह भी देखा जाएगा कि रिश्वत किन परिस्थितियों में दी गई है।

Advertisement