कैलिर्फोनिया। भेदभाव इस दुनिया की जटिल सम्सयाओं में से एक है। ऐसी सम्सयाओं के समाज से खात्में का फिलहाल कोई उपाय हम गूगल पर भी नहीं खोज सकते है। क्योंकि इस खबर में गूगल दफ्तर में हुई भेदभाव का जिक्र है। तो आप ही बतायें कि धरती का दूसरा भगवान कहा जाने वाला ये सर्च इंजन जो हमारी सम्स्याओं का सामाधान करता है वो खुद भेदभाव की समस्या से जूझ रहा है।
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हुआ ये है कि गूगल पर ये अरोप लगाया गया है की गूगल अपने पुरुष कर्मचारियों के मुकाबले महिला कर्मचारियों और एशिआई मूल के लोगों को कम तनख्वाह देता है। वेतन में गैरबराबरी का ये मामला कैलिफोर्निया, सिएटल, किर्कलैंड तथा वॉशिंगटन स्थित कार्यालयाओं का है। गूगल ने साल 2014 से 2017 के बीच महिला इंजीनियरों को समान पद पर काम कर रहे पुरूष इंजीनियरों की तुलना में कम वेतन दिया। इन आरोपों के बाद मामले की जांच शुरू की गई थी।
इस एवज में गूगल 5,500 से अधिक कर्मचारियों और नौकरी के लिए आवेदन करने वाले लोगों को 26 लाख डॉलर यानी करीब 19 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान करेगी। इस समझौते की घोषणा सोमवार को की गई। गूगल की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ऐसे आरोप निराधार है। हमारा मानना है कि हर किसी को उसके काम के आधार पर भुगतान किया जाना चाहिए, इस आधार पर नहीं कि वे कौन हैं। हम अपनी नियुक्ति प्रक्रिया और मुआवजा प्रक्रिया को निष्पक्ष बनाने के लिए भारी निवेश करते हैं।