नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका दायर की गई है। जिसमें 1 मार्च 2018 से 11 अप्रैल 2019 तक बेचे गए चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) के विवरण का खुलासा करने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि मतदाता योजना शुरू होने से पहले की अवधि के लिए सियासी दलों की फंडिंग के बारे में जानने के हकदार हैं।
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पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक ऐतिहासिक फैसले में केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना (Electoral Bond Scheme) को रद्द किया। अदालत ने गुमनाम चुनावी चंदे (Electoral Bond) को असंवैधानिक करार दिया। इसके साथ ही भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को इस योजना के तहत 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक के चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) का विवरण चुनाव आयोग को सौंपने का निर्देश दिया।
सिटिजन राइट्स ट्रस्ट (Citizen Rights Trust) की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि मार्च 2018 से अप्रैल 2019 के बीच 4,002 करोड़ रुपये के 9,159 बॉन्ड बेचे गए हैं। इसका भी खुलासा किया जाना चाहिए। याचिका में एसबीआई (SBI) को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह 1 मार्च 2018 से 11 अप्रैल 2019 तक बेचे गए और भुनाए गए चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) के विवरण साझा करे। जिसमें अल्फान्यूमेरिक नंबर, खरीद की तारीख, मूल्यवर्ग, दाताओं और दलों के नाम शामिल हैं।
याचिका में कहा गया है कि एक बार जब पूरी चुनावी बॉन्ड योजना (Electoral Bond Scheme) को संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) का उल्लंघन माना जाता है, नागरिक मार्च 2018 से पूरी अवधि के दानकर्ताओं और प्राप्तकर्ताओं का विवरण जानने के हकदार हैं। इसमें आगे कहा गया है कि चुनाव आयोग (EC) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़े सभी बॉन्ड का केवल 76 फीसदी है और मतदाताओं को शेष 24 फीसदी चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond) के विवरण के बारे में पता नहीं है।