मुरैना। इंसानियत मर गई थी! विकास के दावे खोखले दिख रहे थे, जब आठ साल का मासूम अपने दो साल के भाई के शव को गोद में लिए बैठा था। वो भी बेसुध था। राहगीर भी तमाशबीन बने हुए थे। सरकारी तंत्र के दावे जमीनी हकीकत से कोषो दूर दिखाई दे रहे थे। पिता शव ले जाने के लिए कम किराए वाले वाहन की तलाश कर रहा था। सोचिए…उस पिता पर क्या गुजर रही होगी, जिसके बेटे की मौत हो गई है और वो शव ले जाने के लिए वाहन की तलाश कर रहा है। ऐसी स्थिति देखकर साफ लगता है कि सरकारी दावे सिर्फ झूठे हैं।
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सोचिए करोड़ों रुपये की मेट्रो ट्रेन, करोड़ो रुपये के पर्यटन प्रोजेक्ट और करोड़ों रुपये के अन्य प्रोजेक्ट लगाने वाली सरकार आज तक अच्छी स्वास्थ्य सुविधा नहीं दे पाई। ऐसी तस्वीरें सरकारी तंत्र के दावों की पोल खोल देती हैं। दरअसल, ये घटना मध्यप्रदेश के मुरैना जिले की है जिसको देखकर हर किसी की रूह कांप उठी। जिला अस्पताल के पास आठ साल का मासूम अपनी गोद में दो साल के भाई का शव लिए सड़क किनारे बैठा था।
मृतक का गरीब पिता अपने बच्चे के शव को घर ले जाने के लिए कम किराये वाले वाहन की तलाश में फिरता रहा। विचलित कर देने वाला यह द्श्य जिसने भी देखा उसकी आत्मा सिहर गई। आंखों से आंसू निकल आए। जिला अस्पताल से शव ले जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिला, लेकिन जब मामले ने तूल पकड़ा तो तुरंत ही एंबुलेंस का इंतजाम हो गया।
उपचार के दौरान दम तोड़ा दम
बताया जा रहा है कि, अंबाह के बड़फरा गांव निवासी पूजाराम जाटव अपने दो साल के बेटे राजा को एंबुलेंस से अंबाह अस्पताल से रेफर कराकर जिला अस्पताल में लाया था। एनीमिया और पेट में पानी भरने से परेशान राजा ने जिला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। अंबाह अस्पताल से राजा को लेकर जो एंबुलेंस आई वह तत्काल लौट गई। इस दोरान राजा की उपचार के दौरात मौत हो गई। राजा की मौत के बाद उसके गरीब पिता पूजाराम ने अस्पताल के डाक्टर व स्टाफ से शव को गांव ले जाने के लिए वाहन की बात की तो यह कहकर मना कर दिया कि शव ले जाने के लिए अस्पताल में कोई वाहन नहीं है। बाहर भाड़े से गाड़ी कर लो।
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एंबुलेंस संचालक ने मांगे डेढ़ हजार
अस्पताल परिसर में खड़ी एंबुलेंस के किसी संचालक ने एक तो किसी ने डेढ़ हजार रुपये मांगे। पूजाराम के पास इतनी रकम नहीं थी, इसलिए वह अपने बेटे राजा के शव को लेकर अस्पताल के बाहर आ गया। साथ में आठ साल का बेटा गुलशन भी था। अस्पताल के बाहर भी कोई वाहन नहीं मिला। इसके बाद गुलशन को नेहरू पार्क के सामने, सड़क किनारे बने नाले के पास बैठाकर पूजाराम सस्ता वाहन तलाशने चला गया।
कोतवाली टीआई ने करवाई व्यवस्था
मीडिया रिपोर्ट की माने तो इसकी जानकारी होने पर कोतवाली टीआई योगेंद्र सिंह जादौन आए। उन्होंने मासूम गुलशन की गोद से उसके भाई का शव उठवाया। दोनों को जिला अस्पताल ले गए। वहां गुलशन का पिता पूजाराम भी आ गए। एंबुलेंस से शव को बड़फरा भिजवाया गया।