कश्मीर। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने बीते शुक्रवार को कश्मीर में 2 पुलिसकर्मियों की हत्या पर कहा कि यह दुख की बात है। सरकार का कहना है कि सब कुछ हंकी-डोरी है। उन्होंने कहा कि जब पुलिस कर्मी सुरक्षित नहीं तो आम आदमी कैसा? चीन (China) हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर रहा है, क्या भारत सरकार संसद में चर्चा की अनुमति देती है ?
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फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने कहा कि कश्मीर में लोगों को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, कई वादे किए गए लेकिन एक भी पूरा नहीं किया गया। कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) और कश्मीरी मुसलमानों (Kashmiri Muslims) के बीच समस्याएं पैदा की गईं। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच फैली नफरत से हमारे दुश्मनों को फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि देश नहीं बचेगा अगर हम, नेता धर्म और राजनीति को एक दूसरे से दूर नहीं रखेंगे। वे महिला अधिकार विधेयक (Women Rights Bill) पारित क्यों नहीं करते? उनके पास संसद में 300 सदस्य हैं, लेकिन वे नहीं चाहते कि महिलाएं उठें और पुरुषों के समान दर्जा प्राप्त करें।
फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने कहा कि कश्मीरी पंडितों ने पलायन से बहुत कुछ झेला है, उनका दर्द अनगिनत है। उन्होंने आरोप लगाया कि कश्मीर के लोगों का वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया गया, उनसे वादे किए गए, लेकिन कभी पूरे नहीं किए गए।
फारूक अब्दुल्ला ने ये बातें पार्टी की अल्पसंख्यक विंग के कार्यकर्ताओं की बैठक में तीन प्रस्ताव पास किए। इसमें एक कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी से जुड़ा प्रस्ताव भी शामिल है। इसके साथ ही समुदाय के लिए मंदिर और धार्मिक स्थलों के प्रबंधन के लिए एक बिल पास करने की भी मांग की। इस दौरान फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीरी पंडित तीन दशकों से अपनी सम्मानजनक वापसी और पुनर्वास के लिए तरह रहे हैं। ये मुद्दा बहुत ही महत्वपूर्ण है। अब्दुल्ला ने दावा करते हुए कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो पंडितों की घाटी में वापसी और पुनर्वास को सुनिश्चित कर सकती है।
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उन्होंने कहा कि कुछ ताकतों को लग रहा था कि वह पंडितों को यहां से भगाकर कश्मीर पर कब्जा कर लेंगे, लेकिन मैं भरोसा दिलाता हूं कि वो कभी भी अपने नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि मैं जम्मू के लोगों का धन्यवाद देता हूं जो उन्हें कश्मीरी पंडितों को सहारा दिया। अब्दुल्ला ने आगे कहा कि बीजेपी ने हमेशा कश्मीरी पंडितों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया और उनके लिए कुछ नहीं किया। कुछ ताकतों ने कश्मीरी पंडितों और मुस्लिमों को बांटने की कोशिश की। मुसलमानों ने पंडितों को कभी घाटी छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया, बल्कि कुछ लोगों ने ऐसा किया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय भी नौकरियों और अन्य क्षेत्रों में अपने हिस्से के लायक हैं, लेकिन उन्होंने कभी पंडितों के अधिकार नहीं छीने।
उन्होंने कहा कि हमने घाटी में पंडितों की वापसी सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश की, लेकिन कुछ तत्वों ने पंडितों के कत्लेआम को अंजाम देकर इस पूरी प्रक्रिया को बाधित कर दिया। अब्दुल्ला ने कहा कि मैं पंडितों से माफी मांगता हूं कि 90 के दशक में उनकी सुरक्षा के लिए कुछ नहीं कर सका। मैं आप लोगों से नफरत से दूर रहने और प्यार फैलाने की अपील करता हूं।
फारूक अब्दुल्ला यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि हम राजनेता लोग अपने फायदे के लिए लोगों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। लोगों को सांप्रदायिक ताकतों को फायदा उठाने नहीं देना चाहिए, बल्कि एकजुट होकर ऐसे नापाक मंसूबों को हराना चाहिए। अब्दुल्ला ने केंद्र की ओर इशारा करते हुए कहा कि कश्मीरी पंडितों के कई सारे नेता हैं, लेकिन कभी भी उन्हें एकजुट होने की अनुमति नहीं दी जाएगी। नौकरियों में बाहरी लोगों को वरीयता दी जा रही है, ये जम्मू विरोधी कदम है, लेकिन इस बारे में कोई बात नहीं कर रहा है। वह किसान बिल लेकर आए थे लेकिन अपने राजनीतिक हितों के लिए वापस ले लिए।