नई दिल्ली: ज्योतिष शास्त्र में चंद्रग्रहण को एक प्रमुख खगोलीय घटना के तौर पर देखा जाता है। चंद्रग्रहण का असर सभी 12 राशियों पर पड़ता है। इस साल का पहला चंद्रग्रहण 26 मई 2021 (बुधवार) को लगेगा। इस साल दो चंद्रग्रहण लगने हैं। दूसरा चंद्रग्रहण 19 नवंबर 2021 को लगेगा। साल का पहला चंद्रग्रहण वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को दोपहर 02 बजकर 17 मिनट पर लगेगा। यह ग्रहण शाम 07 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।
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साल 2021 का पहला चंद्रग्रहण भारत में उपछाया चंद्र ग्रहण के रूप में देखा जा सकेगा। जबकि पूर्वी, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका में पूर्ण ग्रहण होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। 2021 में देश में लगने वाला चंद्र ग्रहण उपछाया ग्रहण है। इस कारण इसमें सूतक काल मान्य नहीं होगा।
क्यों मनाया जाता है सूतक काल
समुद्र मंथन के दौरान स्वर्भानु नामक एक दैत्य ने छल से अमृत पान करने की कोशिश की थी। तब चंद्रमा और सूर्य की इस पर नजर पड़ गई थी। इसके बाद दैत्य की हरकत के बारे में चंद्रमा और सूर्य ने भगवान विष्णु को जानकारी दे दी। भगवान विष्णु ने अपने सुर्दशन चक्र से इस दैत्य का सिर धड़ से अलग कर दिया। अमृत की कुछ बंदू गले से नीचे उतरने के कारण ये दो दैत्य बन गए और अमर हो गए।
सिर वाला हिस्सा राहु और धड़ केतु के नाम से जाना गया। माना जाता है कि राहु और केतु इसी बात का बदला लेने के लिए समय-समय पर चंद्रमा और सूर्य पर हमला करते हैं। जब ये दोनों क्रूर ग्रह चंद्रमा और सूर्य को जकड़ते लेते है तो ग्रहण लगता है और इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है और दोनों ही ग्रह कमजोर पड़ जाते हैं। इसलिए ग्रहण के दौरान शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है।