पटना। मगध विश्वविद्यालय में हुए करोड़ों के घोटाले में निगरानी के विशेष न्यायाधीश मनीष द्विवेदी की अदालत में बुधवार को पूर्व कुलपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने सरेंडर कर दिया। जज ने राजेन्द्र प्रसाद को न्यायिक हिरासत में बेऊर जेल भेज दिया। पूर्व कुलपति के खिलाफ गिरफ्तारी का गैर जमानती वारंट जारी था। पटना हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद उन्होंने विशेष अदालत में सरेंडर किया।
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निगरानी के विशेष न्यायाधीश मनीष द्विवेदी की अदालत में डॉ. प्रसाद ने एक याचिका दाखिल करते हुए आत्मसमर्पण किया गया था। अदालत ने डॉ. प्रसाद को न्यायिक हिरासत में लेते हुए 22 फरवरी तक के लिए जेल भेजे जाने का आदेश दिया। बता दें कि निगरानी विभाग की विशेष आर्थिक अपराध इकाई ने 16 नवंबर 2021 को एसवीयू 2/21 के रूप में एक प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसके आधार पर अदालत में विशेष वाद संख्या 48 /2021 दर्ज है।
जांच के क्रम में विशेष इकाई ने पाया कि मामले के अभियुक्तों ने एक आपराधिक षड्यंत्र कर अपने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए कॉपी एवं ई-बुक खरीद के नाम पर दो संस्थानों को करोड़ों रुपये का अवैध भुगतान कर सरकारी राशि का गबन किया था। इस मामले में चार लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है जबकि पूर्व कुलपति डॉ. प्रसाद के खिलाफ अनुसंधान जारी है। अदालत ने डॉ. प्रसाद की उपस्थिति के लिए 02 जुलाई 2022 को उनके खिलाफ गिरफ्तारी का गैर जमानती वारंट जारी किया था।
हाल ही में पूर्व कुलपति के यूपी के कई ठिकानों पर जांच एजेंसी ने बोधगया, गोरखपुर, पटना समेत उनके ठिकानों पर छापेमारी की थी। पूर्व कुलपति राजेंद्र प्रसाद पर आरोप है कि मगध विश्वविद्यालय के VC रहते उन्होंने 30 करोड़ रुपए का बंदरबांट किया था। उन्होंने टेंडर प्रॉसेस को दरकिनार कर लखनऊ की दो कंपनियों को मगध विश्वविद्यालय में सामान सप्लाई का जिम्मा दिया था।
यूपी में भी अहम पदों पर रहे हैं राजेंद्र प्रसाद
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राजेंद्र प्रसाद यूपी के गोरखपुर के रहने वाले हैं। मगध विश्वविद्यालय के VC बनने से पहले वह प्रयागराज राज्य विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति बने थे। इसके बाद से वह चर्चा में आ गए थे। राजेंद्र प्रसाद यूपी में कई अहम पदों पर रह चुके हैं। वह गोरखपुर विश्वविद्यालय के भी कुलपति रहे हैं। मगध विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद उन्हें विशेष निगरानी इकाई ने पूछताछ के लिए कई बार समन जारी किया था, लेकिन वे कभी हाजिर नहीं हुए।