नई दिल्ली। कोरोना वैक्सीनेशन से हुईं कथित मौतों पर केंद्र ने पल्ला झाड़ते सुप्रीम कोर्ट हलफनामा दिया है। इसके साथ ही केंद्र ने दायर हलफनामे में कहा कि उसे मृतकों और उनके परिजनों के प्रति उसकी पूरी हमदर्दी है, लेकिन वैक्सीनेशन के बाद किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के लिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
पढ़ें :- सपा का परिवारवाद, भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी वाली राजनीति फिर नहीं लौटेगी : केशव मौर्य
बता दें कि यह मामला पिछले साल दो युवतियों की कथित तौर पर कोरोना वैक्सीनेशन के बाद हुई मौत से जुड़ा है। इस मामले में युवतियों के माता पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कोरोना वैक्सीनेशन की वजह से हुईं इन कथित मौतों की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की गई थी। याचिका में वैक्सीनेशन के बाद किसी भी साइड इफेक्ट का समय रहते पता लगाकर उससे बचाव के उपाय करने के लिए विशेषज्ञों का बोर्ड बनाने का आदेश देने की भी मांग की गई है।
इस मामले में केंद्र की मोदी सरकार को घेरते हुए कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को ट्वीट कर बड़ा हमला बोला है। पार्टी ने ट्वीट कर कहा कि ‘जिम्मेदारियों’ से भागना तो उनकी आदत है।
'जिम्मेदारियों' से भागना तो उनकी आदत है pic.twitter.com/H72tTaA2p0
— Congress (@INCIndia) November 30, 2022
पढ़ें :- जो लोग अपने नारों से समाज में बारूद बिछा रहे हैं, महाराष्ट्र चुनाव बाद उनकी कुर्सी छिन जाएगी : अखिलेश यादव
केंद्र ने दाखिल किया जवाब
हालांकि इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर केंद्र से जवाब मांगा था। इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने हलफनामा दाखिल कर कहा गया कि टीकों के प्रतिकूल प्रभाव के कारण हुई मौतों व मुआवजे के लिए केंद्र को जिम्मेदार मानना कानूनी रूप से उचित नहीं होगा। कोर्ट ने दोनों युवतियों की मौत पर संवेदना और सांत्वना जताते हुए कहा कि सिर्फ एक मामले में एईएफआई कमेटी ने वैक्सीनेशन के साइड इफेक्ट से मौत की पुष्टि की है। केंद्र सरकार ने हलफनामे के जरिए दायर जवाब में कहा कि जिन मामलों में वैक्सीन की वजह से मौत हुई है, उनमें सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर कर मुआवजा मांगा जा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने याचिकाकर्ता की मुआवजे की मांग खारिज करते हुए कहा है कि यदि किसी व्यक्ति को वैक्सीनेशन के साइड इफेक्ट की वजह से शारीरिक चोट भी आती है या उसकी मौत होती है। तो कानून के मुताबिक वह या उसका परिवार मुआवजे या हर्जाने की मांग को लेकर सिविल कोर्ट में दावा कर सकता है। हलफनामे में कहा गया है कि लापरवाही को लेकर ऐसे मामले केस-दर-केस के आधार पर दायर किए जा सकते हैं।