Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. एस्ट्रोलोजी
  3. भयंकर जलप्रलय के बाद भी किस तरह केदारनाथ मंदिर पर नहीं आई आंच, ऐसे हुआ भोलेनाथ का चमत्कार

भयंकर जलप्रलय के बाद भी किस तरह केदारनाथ मंदिर पर नहीं आई आंच, ऐसे हुआ भोलेनाथ का चमत्कार

By आराधना शर्मा 
Updated Date

उत्तराखंड: भारत में भगवान के कई मंदिर हैं और हर मंदिर से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य हैं जिसके पीछे की सच्चाई आज तक कोई नहीं जान पाया। ऐसा ही एक रहस्य जुड़ा है केदारनाथ से। 16 जून 2013 को केदारनाथ में एक भयंकर बाढ़ आ गई थी।

पढ़ें :- 06 अप्रैल 2025 का राशिफलः रामनवमी के दिन इन राशियों पर बरसेगी प्रभु राम की कृपा, बनेंगे बिगड़ेंगे काम

आपको बता दें, जून के महीने में यहाँ भारी बारिश हुई थी और उसी दौरान बादल फट गए थे। कहा जाता है केदारनाथ मंदिर से 5 किलोमीटर ऊपर चौराबाड़ी ग्लेशियर के पास एक झील बन गई थी और उसके टूट जाने के कारण पूरा पानी तेज बहाव से नीचे की तरफ आ गया था।

उस दौरान का दृश्य जल प्रलय कहा जा सकता है। 16 जून को रात के करीब 8 बज रहे थे तभी अचानक मंदिर के पीछे ऊपर वाले पहाड़ी भाग से पानी का तेज बहाव आता नजर आया। यह दृश्य देखकर सभी तीर्थयात्री मंदिर में चले गए। उसके बाद रातभर लोग एक-दूसरे को यह कहते रहे कि ‘हमे कुछ नहीं होगा।’ उस दौरान मंदिर के चारों ओर जल प्रलय था। जल प्रलय ने केदार घाटी के पत्ते-पत्ते को उजाड़ दिया था। मंदिर पर भी खतरा मंडरा रहा था लेकिन केदारनाथ के दो साधु कहते हैं एक चमत्कार हो गया जिसने मंदिर और शिवलिंग को बचा लिया।

क्या हुआ था

16 जून को जब सैलाब आया तो इन दोनों साधुओं ने मंदिर के पास के एक खंबे पर चढ़कर रातभर जागकर अपनी जान बचाई थी। उस दौरान दोनों साधुओं ने देखा कि ‘मंदिर के पीछे के पहाड़ से बाढ़ के साथ अनुमानित 100 की स्पीड से एक विशालकाय डमरूनुमा चट्टान भी मंदिर की ओर आ रही है, लेकिन अचानक वह चट्टान मंदिर के पीछे करीब 50 फुट की दूरी पर रुक गई।’

पढ़ें :- Viral video: बुलंदशहर में सिंकदर फिल्म देखने आईं दो लड़कियों में जमकर मारपीट

साधुओं का कहना है उन्हें ऐसा लगा जैसे डमरूनुमा चट्टान को किसी ने रोक दिया। उसके बाद उस चट्टान के कारण बाढ़ का तेज पानी दो भागों में कट गया और मंदिर के दोनों ओर से बहकर निकल गया। उस दौरान करीब-करीब 300 से 500 लोग भगवान शिव की शरण में बैठे थे।

साधु बताते हैं उस चट्टान को जब उन्होंने मंदिर की तरफ आते हुए देखा तो उनके तो होश ही उड़ गए थे लेकिन अचानक हुए चमत्कार ने सभी को बचा लिया। कहा जाता है उस प्रलयंकारी बाढ़ में लगभग 10 हजार लोग ऐसे थे जिनकी मौत हो गई। जिस डमरूनुमा चट्टान ने उस समय रक्षा की थी उसे आज भीम शिला के नाम से पुकारा जाता है और लोग उसकी पूजा भी करते हैं। कोई नहीं जानता वह डमरूनुमा चट्टान कहाँ से आई लेकिन इसे भगवान का चमत्कार कहा जा सकता है जो उन्होंने अपने भक्तों के लिए किया।

पढ़ें :- Funny Video: किंग कोबरा से बब्बर शेर की डर से हालत हुई खराब, देख नहीं रोक पाएंगे आप हंसी
Advertisement