अयोध्या/लखनऊ। उप निदेशक सूचना अयोध्या धाम व मुख्यमंत्री मीडिया सेन्टर से सेवानिवृत्त होने के बाद डॉ. मुरलीधर सिंह राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्र सूचना कानून का सम्पादन प्रारम्भ कर दिया है। उन्होंने कहा कि ये लोगों एवं जनता की आवाज होगा। उन्होंने कहा कि मैं पहले भी अपना अस्थायी निवास श्रीराम कोट क्षेत्र, श्री राम आश्रम से रहकर आप लोगों की समस्याओं को हल करता था। अब मैं उच्च न्यायालय इलाहाबाद के लखनऊ पीठ के एक अनुभवी अधिवक्ता के रूप में कार्य प्रारम्भ कर दिया हूं। यह कार्य 05 सितम्बर शिक्षक दिवस के दिन से प्रारम्भ हो गया है।
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श्री सिंह ने कहा कि मैं अयोध्या का मतदाता और सेवक के रूप में भगवान राम एवं हनुमान जी व माता जानकी व सरयू के चरणों में रहकर तथा भगवान शंकर व संत महात्माओं के आर्शीवाद से सेवा करता रहूंगा। अपने कमाई व पेंशन का 30 प्रतिशत अंश संत महात्माओं, पत्रकारों व समाज के पीड़ित लोगों के लिए श्री अयोध्या जी सेवा न्यास के माध्यम से समर्पित करूंगा। मेरा पूर्व की भांति प्रत्येक मंगलवार को श्रीराम/साधनाश्रम में मुलाकात होगी।
उन्होंने कहा कि मैं सभी सरकारी लोगों को भी इससे संदेश देना चाहता हूं कि कोई भी व्यक्ति जो सरकारी सेवा में आता है। वह जनता के टैक्स से पढ़ता है। नौकरी में आता है तो वेतन पाता है। सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन भी जनता के टैक्स से ही पाता है। उसे हमेशा राष्ट्र और समाज के प्रति वफादार होना चाहिए। गलत लोगों को अपनी क्षमता के अनुसार रोकना चाहिए। सरकार की नीतियां अच्छी है तो समर्थन करना चाहिए और गलत है तो संविधान के अनुच्छेद-19 के अनुसार समालोचना व सरकार को पत्र के माध्यम से अवगत कराना चाहिए।
किसी भी व्यक्ति को या नागरिक को राष्ट्र के प्रति अकर्मण्य नहीं होना चाहिए इस प्रवृत्ति को हम देश व समाज के प्रति द्रोह मानते हैं। अयोध्या के लगाव का एक और महत्वपूर्ण कारण है कि मेरा लखनऊ आदि शहरों में अपना मकान होते हुये भी मैंने अपना पेंशन अयोध्या के कोषागार से ही लिया। पेंशन प्राप्त होने लगी और किसी भी सेवानिवृत्त होने वाले व्यक्ति को सरकार की नीति द्वारा सेवानिवृत्त के समय विभिन्न प्रकार के आर्थिक लाभ प्राप्त होते हैं। इस लाभ को केवल अपने कार्य में व परिवार के कार्य में उपयोग करते हुये संत समाज में व आम लोगों को जो आपसे जुड़े हैं या जिनकी आवश्यकता है। उनकी आवश्यकता का परीक्षण कर देना चाहिए। यह हमारा संकल्प है। वैसे लोगों को राष्ट्र के प्रति आगाह करना चाहते है कि जो व्यक्ति राजकीय पद से सेवा करता है। उसे अपने निजी कार्य जैसे खान पान, भोजन, नमक आदि के क्रय में अपना ही पैसा खर्च करना चाहिए। इससे स्वस्थ्य समाज एवं राष्ट्र का उत्तरोत्तर विकास होगा।