Jageshwar Dham : देवभूमि उत्तराखंड में भक्त और भगवान दोनों का निवास स्थल रहा है। इस पवित्र भूमि पर भगवान शिव समेत सप्तऋषियों ने यहां तपस्या की थी। पुराणों के अनुसार, जागेश्वर धाम में जो सबसे अहम शिव मंदिर हैं, उसमें भगवान शिव की पूजा नागेश के रूप में की जाती है। भगवान शिव के भक्त यहां पहुंच कर अपना जीवन धन्य करते है और भगवान शिव की तपस्या से प्रेरित होकर कर्म के मर्म में रम जाते हैं। भगवान शिव के अलावा इस मंदिर में भगवान विष्णु, देवी शक्ति और भगवान सूर्य की प्रतिमा भी मौजूद हैं।
पढ़ें :- 16 जनवरी 2025 का राशिफलः आज के दिन आपके कॅरियर में हो सकता है बदलाव, इन राशि के लोगों के पूरे होंगे रुके काम
मंगलकारी मनोकामनाएं ही पूरी हो सकती हैं
पुराणों के अनुसार शिवजी तथा सप्तऋषियों ने यहां तपस्या की थी। कहा जाता है कि प्राचीन समय में जागेश्वर मंदिर में मांगी गई मन्नत उसी रूप में स्वीकार हो जाती थीं जिसका भारी दुरुपयोग हो रहा था। आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य जागेश्वर आए और उन्होंने महामृत्युंजय में स्थापित शिवलिंग को कीलित करके इस दुरुपयोग को रोकने की व्यवस्था की। शंकराचार्य जी द्वारा कीलित किए जाने के बाद से अब यहां दूसरों के लिए बुरी कामना करने वालों की मनोकामना पूरी नहीं होती केवल यज्ञ एवं अनुष्ठान से मंगलकारी मनोकामनाएं ही पूरी हो सकती हैं।
शिव मंदिर बेहद खास है
ऐतिहासिक दृष्टि से यहां के शिव मंदिर का इतिहास तकरीबन 2500 साल पुराना बताया जाता है। यहां पत्थर से बने 124 छोटे-छोटे मंदिर भी मौजूद हैं। यहां पहुंचने के लिए अल्मोड़ा आना पड़ेगा। अल्मोड़ा से जागेश्वर धाम की दूरी करीब 40 किमी है। समुद्रतल से करीब 6,200 फुट की ऊंचाई पर मौजूद यह शिव मंदिर बेहद खास है।