Jharkhand News: झारखंड के दुमका में सरकारी पॉलिटेकनिक कॉलेज में बडा घोटाला सामने आया है। आरोप है कि, पॉलिटेकनिक कॉलेज प्रशासन ने एक ब्लैकलिस्टेड ग्रूप कि कंपनी को करोड़ों के सामान की सप्लाई का ठेका दे दिया। विभाग ने पहले ही इन कंपनियों को कोई आर्डर नहीं देने का आदेश जारी किया था। लेकिन, कॉलेज प्रशासन ने उस कंपनी को ठेका दे दिया। मामले के खुलासे के बाद सरकार ने जांच के आदेश दिये हैं। विभाग ने कोर्ट में अपील करने का निश्चय किया है।
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मोटे कमीशन का खेल
दरअसल, झारखंड सरकार ने 2019 में ही सूबे के सभी तकनीकी संस्थानों को पत्र जारी किया था। झारखंड के तकनीकी शिक्षा निदेशक डॉ अरूण कुमार की ओर से जारी पत्र में कहा गया था कि अम्बाला की कंपनी क्रियेटिव लैब ना तो तकनीकी शिक्षा के लिए जरूरी उपकरणों की निर्माता कंपनी है या ना ही कोई ऑथराइज्ड डीलर है। इसके बावजूद उसे बड़े पैमाने पर ठेका दिया जा रहा है। जबकि इस कंपनी के द्वारा आपूर्ति किया गया सामान बेहद घटिया है और सरकार द्वारा तय मानकों को पूरा नहीं करते। ऐसे में सरकार ने सभी तकनीकी शिक्षण संस्थानों को ये निर्देश दिया था कि वे इस कंपनी से किसी सामान की खरीद नहीं करें। अगर किसी ने सामान खरीद लिया है तो उसे भुगतान नहीं किया जाये।
तीन साल पहले सरकार की ओर से जारी हुए इस पत्र के बावजूद दुमका के सरकारी पॉलिटेकनिक कॉलेज ने अम्बाला की कंपनी क्रियेटिव लैब के सामान की खरीद का आर्डर दे दिया। क्रियेटिव लैब से संबंधित कंपनियों को दुमका पॉलिटेकनि कॉलेज में लगभग दो करोड़ रूपये के सामान की सप्लाई का आर्डर दे दिया गया।
शिकायत पर दिए जांच के आदेश
दुमका पॉलिटेकनिक कॉलेज में हुए इस खेल की जानकारी अब झारखंड सरकार के तकनीकी शिक्षा विभाग को मिली है। तकनीकी शिक्षा विभाग को मिली शिकायत के मुताबिक सामान खरीद में लगभग 40 प्रतिशत का कमीशन लिया गया है। इसके बाद तकनीकी शिक्षा विभाग ने मामले की जांच के आदेश दे दिये हैं। सचिव राहुल पुरवार की गिनती ईमनादार और सख्त अफसरों में होती है। ऐसे में उनके जांच के आदेश के बाद भ्रष्टाचारियों की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही है।
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अधिकारी की भूमिका संदिग्ध
विभागीय सूत्रों ने बताया कि प्राथमिक तौर पर इस मामले में दुमका पॉलिटेकनिक कॉलेज में सामान खरीदने के लिए अधिकृत अधिकारी की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। हालांकि पूरी जांच के बाद मामला स्पष्ट हो पायेगा। विभागीय सूचना के अनुसार पता चला कि 2019 में विभाग द्वारा कोर्ट में केस भी किया गया जो कि कुछ कारणों से क्रिएटिव लैब के अनुरूप रहा, विभागीय अधिकारी इस मामले के लिए फिर से कोर्ट में अपील कर रहे हैं ताकि ब्लैकलिस्टेड कंपनियों कि नाक में नकेल डाल सके।