Kanpur Fire Case: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता की दूसरी पारी संभालते ही बड़े जोश के साथ वादे किए थे कि माफिया कोई बचेगा नहीं और गरीब की किसी झोपड़ी पर बुलडोजर चलेगा नहीं। कानपुर देहात की इस घटना ने मुख्यमंत्री के सभी दावे और वादों को खोखला साबित कर दिया। योगी सरकार के बुलडोजर ने माफियाओं के खिलाफ जो अपनी साख बनाई थी वो साख कानपुर की इस घटना से जमींदोज हो गई। गरीब ब्राह्मण मां—बेटी के जलती हुई तस्वीर ने योगी सरकार की साख पर बट्टा लगा दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस घटना का जिम्मेदारी किसकी?
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अफसरों ने अपनाया दमन का रास्ता
कानपुर देहात के मैथा तहसील के मडौली गांव में हुई निर्मम घटना ने सभी का दिल झकझोर दिया। इस घटना ने अफसरों के दमन का रवैया भी सबके सामने ला दिया। संवेदनशील रवैया की बजाय अफसरों ने अपनाया दमन का रास्ता अपनाया है। इस घटना को प्रशासन हादसा बताने की कोशिश में जुटा है लेकिन विपक्ष इसे हत्या बता रहा है। आखिर इसे हत्या क्यूं न माना जाए जब अफसरों के सामने एक मां प्रमिला दीक्षित और बेटी नेहा जलकर मर गईं। उन्हें बचाने के बजाए अफसर और पुलिस के अधिकारी वहां से फरार हो गए। वारदात के बाद हंगामा मचा तो योगी सरकार ने कार्रवाई का आश्वासन देते हुए एसीडीएम, लेखपाल, थानेदार समेत अन्य लोगों पर केस दर्ज किया। हालांकि, इस घटना ने कई बड़े सवाल खड़े किए हैं। वहीं, सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रही है, उसमें देखा जा सकता है कि आग कैसे लगी है? इसके कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए हैं।
इन पर दर्ज हुई एफआईआर
मड़ौली गांव के अशोक दीक्षित, उसके भाई अनिल दीक्षित, निर्मल दीक्षित, विशाल, जेसीबी चालक दीपक, एसडीएम मैथा ज्ञानेश्वर प्रसाद, रूरा इंस्पेक्टर दिनेश कुमार गौतम, लेखपाल अशोक सिंह, तीन लेखपाल अज्ञात, गांव के 10-12 अज्ञात, 12 से 15 महिला व पुरुष पुलिसकर्मी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है।