Kharmas : खरमास के दौरान मुख्य रूप से भगवान सूर्य और विष्णु देवता की पूजा की जाती हैं। ज्योतिष अनुसार खरमास के दिनों में किसी भी तरह के शुभ कार्य करने अशुभ माने जाते हैं, इसलिए इन दिनों में लोग पूजा-पाठ और शादी वगैरह करने से परहेज करते हैं। इस विशेष अवधि में दान करने से तीर्थ स्नान का बहुत महत्व है। इन दिनों तीर्थ भ्रमण का पुण्य फल मिलता है। मान्यता है कि खरमास में जो भी व्रत किए जाते हैं उनका अक्षय फल मिलता है। पौराणिक मान्यता है कि तीर्थ भ्रमण से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सिद्धि होती है।
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पौराणिक मान्यता है कि,जो व्यक्ति निष्काम भाव से तीर्थ यात्रा करते है, केवल उन्हें ही मोक्ष प्राप्त होता है। जो व्यक्ति सकाम भाव से तीर्थ यात्रा करते है। उन्हें इस लोक में स्त्री- पुत्र आदि और परलोक में स्वर्ग की प्राप्ति होती है। तीर्थ यात्रा का का उद्देश्य तो आत्मा का उद्धार करना है।
खरमास के आखिरी दिनों में भगवान सूर्य नारायण की विधिवत पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। इसी के साथ अन्न और वस्त्र का दान करना भी करना चाहिए।