नई दिल्ली। श्री कृष्ण जन्माष्टमी (shri krishna janmashtami) पर्व (Festival) का भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह पर्व हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। भगवान कृष्ण का जन्म मानों भक्तों के जीवन में नया उत्साह भर देता है। इस पर्व की तैयारी भक्त कई दिन पहले से ही शुरू कर देते हैं। हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि (Ashtami Tithi) पर रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) में हुआ था। इसीलिए हर साल इसी संयोग पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।
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जान लें कृष्ण जन्माष्टमी की तिथि
इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। अष्टमी तिथि (Ashtami Tithi) 29 अगस्त, रात 11:25 बजे शुरू होगी, जो 30 अगस्त रात 1:59 बजे तक रहेगी। इसीलिए इस साल पर्व 30 अगस्त को होगा।
कब तक रहेगा पूजन मुहूर्त-रोहिणी नक्षत्र
जन्माष्टमी पर पूजन का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat) 30 अगस्त, रात 11:59 बजे से देर रात 12:44 बजे तक का रहेगा। रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) का आरंभ 30 अगस्त, सुबह 06:39 बजे से हो रहा है, जिसका समापन 31 अगस्त को सुबह 09:44 बजे पर होगा।
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यह है पूजन विधि
शुभ मुहूर्त में बाल कृष्ण को सबसे पहले दूध से स्नान कराएं। फिर दही, घी, शहद से नहलाएं। अब गंगाजल से स्नान कराएं। इन चीजों को एक बड़े बर्तन में एकत्र कर पंचामृत बना लें। स्नान पूरा होने के बाद बाल गोपाल को सजाएं. लंगोट पहनाएं। उन्हें वस्त्र पहनाएं। गहने पहनाएं।
भगवान कृष्ण के भजन गाएं. चंदन और अक्षत से तिलक करें। धूप, दीप दें। माखन-मिश्री, तुलसी पत्ता का भोग लगाएं। अब बाल गोपाल को झूले पर झुलाएं। भजन-कीर्तन करें। बाल गोपाल को घर में बने भोग प्रसाद के रूप में अर्पित करें। धनिए की पंजीरी, खीर, मिठाई, पंचामृत आदि अर्पित करें।
जन्माष्टमी पर व्रत क्यों रखते हैं?
जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के अवतरण का दिन है। इस दिन भक्त भगवान कृष्ण की विशेष पूजा करते हैं और उपवास भी रखते हैं। कृष्ण के भक्त इस दिन प्रायः फलाहार आदि पर ही व्रत करते हैं। लेकिन यदि स्वास्थ्य संबंधी कारणों से एक समय भोजन करना जरूरी हो तो इसका भी संकल्प ले सकते हैं।