रामपुर। उत्तरप्रदेश में इसी महीने सूबे की दो सीटों पर लोकसभा का उपचुनाव होना है। पहला आजमगढ़ और दूसरा रामुपर ये वो लोकसभा क्षेत्र हैं जहां उपचुनाव होने हैं। भारतीय जनता पार्टी ने इन दोनों जगहों से पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले प्रतयाशियों के नामों की घोषणा कर दी है। आजमगढ़ से पार्टी ने जहां भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता और साल 2019 में यहां से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके दिनेश लाल यादव को उम्मीदवार बनाया है वहीं रामपुर से मुख्तार अब्बास नकवी के नाम की लग रही अटकलों के बीच घनश्याम लोधी को टिकट दे कर के सबकों चौका दिया है।
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घनश्याम लोधी को जब से भाजपा ने रामुपर से चुनाव लड़ाने का फैसला किया है तब से ये सवाल हर व्यक्ति के दिमाग में तैर रहा है कि आखिर कौन हैं घनश्याम लोधी। हम आपको बता दें कि घनश्याम लोधी कोई नये चेहरे नहीं हैं जबकि वो पूराने चावल हैं। घनश्याम इतने अनूठे आदमी हैं जो भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के साथ साथ समाजवादी पार्टी के नेता और प्रदेश के बड़े मुस्लिम चेहरे आजम खान के करीबी रहे हैं। ये भी एक बड़ा कारण है कि इसलिए उनको टिकट दिया गया है क्योंकि समाजवादी पार्टी वहां से जरुर किसी आजम खान के परिवार के किसी सदस्य को चुनाव लड़ायेगी।
जानें घनश्याम लोधी का राजनीतिक सफर
घनश्याम लोधी रामपुर के लिए कोई नया नाम नहीं है। घनश्याम लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं। उनकी राजनीति भी भारतीय जनता पार्टी से ही शुरू हुई थी। तब वह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कल्याण सिंह के काफी करीबी थे। वह भाजपा के जिलाध्यक्ष भी रहे। 1999 में वह भाजपा छोड़कर बसपा में शामिल हो गए और लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन जीत नहीं पाए। तब घनश्याम तीसरे नंबर पर रहे। जब कल्याण सिंह ने भाजपा छोड़कर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई तो घनश्याम लोधी भी इसमें शामिल हो गए। 2004 में घनश्याम लोधी को इसका इनाम मिला।
राष्ट्रीय क्रांति पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके घनश्याम को बरेली-रामपुर एमएलसी सीट से अपना प्रत्याशी बनाया। वह जीत भी गए। 2009 लोकसभा चुनाव के दौरान घनश्याम लोधी ने फिर से बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया। बसपा ने उन्हें रामपुर से अपना उम्मीदवार भी बनाया, लेकिन वह जीत नहीं पाए। तब समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी और अभिनेत्री जयाप्रदा ने जीत हासिल की थी। दूसरे नंबर पर कांग्रेस की बेगम नूर बानो और तीसरे पर घनश्याम लोधी थे। चौथे नंबर पर भाजपा की तरफ से मुख्तार अब्बास नकवी रहे।
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चुनाव में मिली हार के बाद 2011 में घनश्याम वापस समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। रामपुर में घनश्याम लोधी ने समाजवादी पार्टी के पक्ष में खूब माहौल बनाया। 2012 में उन्होंने खूब मेहनत की। इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव और फिर 2019 लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने सपा के लिए प्रचार किया। घनश्याम को आजम खान का काफी करीबी माना जाता था। हालांकि, 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लोधी ने समाजवादी पार्टी का दामन छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली। लोधी पूर्व सांसद आजम खान के करीबी रहे हैं। लंबे समय से रामपुर में एक्टिव रहे हैं। माना जा रहा है कि सपा का जो भी उम्मीदवार होगा वह आजम खान से ही जुड़ा होगा। ऐसे में घनश्याम उसके लिए बड़ी चुनौती हो सकते हैं। रामपुर और आसपास लोधी वोटर्स की संख्या काफी अधिक है।