Maha Shivratri Rudraksha Puja : सनातन धर्म में शिव पूजा को विभिन्न् तरीके से मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव पूजा से इच्छित कामनाओं की पूर्ती होती है। भगवान शिव की पूजा में रुद्राक्ष एक अभिन्न अंग है। रुद्राक्ष की पूजा और इसकी माला से शिव मंत्रों का जप करने से शिव भकित् का भाव जागृत होता है।
सनातन धर्म में ऋषियों ने रुद्राक्ष के गुणों को पहचान कर उनकी विशेषताओं के बारे जगत को अवगत कराया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष को शिव का प्रिय माना जाता है। इसकों पहनने वाले पर भगवान शिव की विशेष कृपा बनी रहती हैं।
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रुद्राक्ष की माला से जपे ये मंत्र
एक मुखी रुद्राक्ष – पौराणिक मान्यता है कि एकमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रतीक होता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति पर भगवान शिव की कृपा बरसती है। इसे धारण करने से पहले ‘ॐ ही नमः’ मंत्र का अवश्य जाप करना चाहिए।
दो मुखी रुद्राक्ष – दोमुखी रुद्राख को अर्धनारीश्वर का प्रतीक माना जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने पर शिव और माता पार्वती की कृपा बरसती है। दोमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से पहले ‘ॐ नमः’ मंत्र का जप करना चाहिए।
तीन मुखी रुद्राक्ष – यह रुद्राक्ष अग्नि का स्वरूप होता है. इसे धारण करने वाला अग्नि के समान तेजस्वी होता है। ऐसे में इसे धारण करने से पहले व्यक्ति को ‘ॐ क्लीं नमः’ मंत्र का जप करना चाहिए।
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चतुर्मुखी रुद्राक्ष – मान्यता है कि इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति पर परम ब्रह्म की कृपा बनी रहती है। चतुर्मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से पहले व्यक्ति को ‘ॐ हृीं नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
पंचमुखी रुद्राक्ष – मान्यता है कि पंचमुखी रुद्राक्ष कालाग्नि रुद्र का प्रतीक होता है. इसे धारण करने से पहले व्यक्ति को ‘ॐ हृीं नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
छ: मुखी रुद्राक्ष – मान्यता है कि इस रुद्राक्ष में भगवान कार्तिकेय का वास होता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से पहले व्यक्ति को ‘ॐ हृीं हुं नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
सप्तमुखी रुद्राक्ष – यह रुद्राक्ष सप्तऋषियों या फिर कहें सप्तमातृकाओं का प्रतीक होता है। इसे धारण करने से पहले व्यक्ति को ‘ॐ हुं नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
अष्टमुखी रुद्राक्ष – यह रुद्राक्ष साक्षात गणपति और भगवान भैरव का प्रतीक माना जाता है। इसे धारण करने से पहले व्यक्ति को ‘ॐ हुं नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
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नौ मुखी रुद्राक्ष – इस रुद्राक्ष को देवी दुर्गा के नव स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस धारण करने पर नवग्रहों से जुड़े दोष भी दूर होते हैं। इसे धारण करने से पहले व्यक्ति को ‘ॐ हृीं हुं नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए।