Makar Sankranti 2022 : मकर संक्रांति का पर्व पूरे देश भर में अलग अलग नामों मनाया जाता है। इस दिन सूर्य की उपासना और दान देने का महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य अपनी राशि से निकल अपने पुत्र शनि देव की राशि मकर में प्रवेश करते है। इसलिए इस त्योहार का नाम मकर संक्रांति रखा गया है। इसे ‘खिचड़ी पर्व’ भी कहते है।इस दिन अन्न के रूप में खिचड़ी और तिल के दान का महत्व है।मकर संक्रांति के पर्व खिचड़ी बनाकर खाने और लोगों को इसे प्रसाद के रूप में खिलाने की परंपरा पूरे देश में मनायी जाती है।
पढ़ें :- Mahakumbh Mela 2025 : प्रयागराज में संगम तट लगेगा अध्यात्म का महाकुंभ मेला , ये है शाही स्नान की मुख्य तिथियां
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सूर्य उपासना का बहुत बड़ा फल है। इस दिन सूर्य देव के मंत्रों का जाप करके प्रसन्न किया जा सकता है।
सूर्यदेव के मंत्र
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा.
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ सूर्याय नम:
ॐ घृणि सूर्याय नम:
मकर संक्रांति पर तिल और तेल के दान को पापनाशक माना गया है। ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति पर तिल से सूर्यदेव की पूजा करने पर आरोग्य सुख में वृद्धि और तिल के दान से शनि संबंधी सभी दोष दूर होते हैं और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती र्है। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन दिया दान अगले जन्म में करोड़ों गुना बड़ा मिलता है। इस दिन तिल का उबटन लगाकर तिल मिश्रित जल से स्नान करना भी शुभ माना गया है। मकर संक्रांति के दिन तिल-गुड़ का न सिर्फ दान बल्कि प्रसाद के रूप में सेवन करने का भी महत्व है।