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मुलायम सिंह यादव दूसरी पत्नी साधना यादव निधन से गए थे टूट? पर्दे के पीछे था उनका अहम रोल

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के संरक्षक व पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव की तबीयत में कोई सुधार नहीं होता नजर आ रहा है। बीते कुछ दिनों से गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आईसीयू में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी कर रह रही है। मेदांता अस्पताल ने शनिवार को बयान जारी कर बताया कि उनकी हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। वह जीवन रक्षक दवाओं पर हैं। उधर, मुलायम सिंह यादव के चाहने वाले उनके शीघ्र स्वस्थ लाभ के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं।

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बता दें कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की तबीयत करीब तीन साल से गड़बड़ चल रही है। वह महीने में कभी दो बार तो कभी एक बार जांच के लिए अस्पताल में भर्ती होते रहे हैं, लेकिन अगस्त महीने से उनकी हालत में लगातार गिरावट बनीं हुई है। खास बात है कि यह वही शहर है, जहां तीन महीने पहले उनकी दूसरी पत्नी साधना यादव ने अंतिम सांस ली थी। अब नेताजी की गिरती तबियत के तार पत्नी के निधन से भी जोड़े जा सकते हैं। क्योंकि अभी कुछ महीने पुरानी ही बात है, जब मुलायम उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दम भरते नजर आ रहे थे। कहा जाता है कि साधना राजनीति में सक्रिय नजर नहीं आती थीं, लेकिन पर्दे के पीछे उनकी भूमिका अहम थी।

साधना के बेटे प्रतीक राजनीति से दूर हैं और रियल एस्टेट डेवलपर के रूप में काम करते हैं। वहीं, प्रतीक की पत्नी अपर्णा अब सपा छोड़कर भाजपा में आ चुकी हैं।

साल 2016 में जब यादव परिवार में तनाव चरम पर था, तो साधना बड़ी भूमिका में सामने आईं। बता दें कि उस दौरान अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल यादव को राज्य की कैबिनेट से बाहर कर दिया था। इस बात से मुलायम खासे नाराज हुए थे। तब अखिलेश प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। यही से यादव परिवार में खींचतान शुरू हो गई थी।

अब परिवार में जारी झगड़े का डर साधना को लगा। उन्हें चिंता थी कि इसका असर यूपी विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। इस दौरान उन्होंने कहा था कि ‘मैं लंबे समय से पर्दे के पीछे रहकर काम किया है और अब आगे आने का समय आ गया है। मैंने मुलायम को कुछ सुझाव दिए हैं, धर्मेंद्र और अखिलेश को सांसदों के रूप में जिताया। ये सब काम किए हैं पर छुप-छुप कर किए हैं।

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इस दौरान साधना ने कहा था कि अखिलेश को ‘गुमराह’ किया गया था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि इस पूरे प्रकरण में उनके पति का अपमान नहीं होना चाहिए था। रिपोर्ट में पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पांच साल पहले वह अपने पति को सीएम बनते देखना चाहती थीं, लेकिन मुलायम ने अपने बेटे को चुना।

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