Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. एस्ट्रोलोजी
  3. Narak Chaturdashi 2022: नरक चतुर्दशी पूजन से असमय मृत्यु से बचा जा सकता है, करें इस देवता की पूजा

Narak Chaturdashi 2022: नरक चतुर्दशी पूजन से असमय मृत्यु से बचा जा सकता है, करें इस देवता की पूजा

By अनूप कुमार 
Updated Date

Narak Chaturdashi 2022: सनातन धर्म में दीपों के त्योहार को दिवाली कहा जाता है। इस दिन लोगअपने घरों को दीपकों की रोशनी से जगमग कर देतें है।  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,इस दिन मा लक्ष्मी का आगमन पृथ्वी पर होता है, इसलिए मां लक्ष्मी के आगमन के लिए लोग अपने घरों को दीपों से जगमगा देते। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की विशेष आराधना की जाती है। पांच दिवसीय दिवाली के पर्व में नरक चतुर्दशी का विशेष महत्व है। यह पर्व दिवाली से एक दिन पूर्व छोटी दिवाली को मनाया जाता है। छोटी दिवाली को ही नरक चतुर्दशी कहते हैं।

पढ़ें :- Mangal Maas Kartik : मंगल मास कार्तिक की पूर्णिमा का पूर्ण स्वरूप

पौराणिक कथाओं के अनुसार, नरकासुर नाम के एक राक्षस के अत्याचार से पृथ्वी लोक पर हाहाकार मचा हुआ था। राक्षस नरकासुर ने 16 हजार कन्याओं को बंधक बना लिया था। लोग नरकासुर के अत्याचार से मुक्ति पाने के लिए भगवान श्री कृष्ण के शरण में गए और नरकासुर से मुक्ति पाने के लिए याचना करने लगे। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के सहयोग से नरकासुर राक्षस का वध किया।जिसके बाद सभी कन्याएं राक्षस के बंधन से मुक्त हो गईं। तब सभी कन्याओं ने श्रीकृष्ण से अपने सम्मान की वापसी की गुहार लगाई। तब श्रीकृष्ण ने उन 16 हजार कन्याओं के साथ विवाह कर लिया। उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी। उस दिन से दीपदान की परंपरा शुरू हुई।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था. इस दिन सभी आत्माओं को मुक्ति मिली थी। ऐसे में इस दिन यमराज और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है । नरक चतुर्दशी पूजन से असमय मृत्यु से बचा जा सकता है, इसलिए दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है।

Advertisement