नई दिल्ली। देश से भगोड़ा कारोबारी नीरव मोदी यूनाइटेड किंगडम के हाईकोर्ट में बुधवार को अपनी कानूनी लड़ाई हार गया है। कोर्ट ने उसकी प्रत्यर्पण रोकने की याचिका खारिज कर दी है। माना जा रहा है कि अब नीरव की भारत वापसी का रास्ता साफ हो सकता है।
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बीते 25 फरवरी को ब्रिटेन की एक कोर्ट ने नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बाद अप्रैल महीने में ब्रिटेन के गृह विभाग ने 13 हजार करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी में वांछित हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारत को प्रत्यर्पित करने की अनुमति प्रदान कर दी थी। अब उसे हाईकोर्ट से भी बड़ा झटका लगा है।
नीरव मोदी पर दो तरह के आपराधिक मामले
बता दें कि नीरव मोदी दो तरह के आपराधिक आरोपों का सामना कर रहा है। पहले तरह के मामले में सीबीआई पीएनबी से फर्जी तरीके से ‘लेटर ऑफ अंडरटेकिंग’ प्राप्त करने या ऋण समझौता करने की जांच कर रही है, जबकि प्रर्वतन निदेशालय धनशोधन के मामले की जांच कर रहा है। वह सबूतों को गायब करने और गवाहों को धमकाने या ‘आपराधिक धमकी की वजह से मौत होने’ के आरोपों का सामना कर रहा है, जिससे सीबीआई के मामलों के साथ जोड़ा गया है।
9,371 करोड़ रुपये की संपत्ति सरकारी बैंकों को ट्रांसफर
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इससे पहले खबर आई है कि प्रवर्तन निदेशालय ने धोखाधड़ी के आरोपी भगोड़े कारोबारी विजय माल्या , नीरव मोदी , मेहुल चोकसी की 9,371 करोड़ रुपये की संपत्ति सरकारी बैंकों को ट्रांसफर कर दी है। मिली जानकारी के अनुसार तीनों भगोड़े आरोपियों की संपत्ति से उनकी धोखाधड़ी के कारण हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी।
एक बयान में प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि पीएमएलए के तहत विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के मामले में न केवल 18,170.02 करोड़ रुपये (बैंकों को हुए कुल नुकसान का 80.45 फीसदी) की संपत्ति जब्त की, बल्कि 9371.17 करोड़ रुपये की कुर्की व जब्त संपत्ति का एक हिस्सा भी पीएसबी और केंद्र सरकार को ट्रांसफर कर दिया गया है. ईडी ने कहा कि विजय माल्या और पीएनबी बैंक धोखाधड़ी मामलों में बैंकों की 40 फीसदी राशि पीएमएलए के तहत जब्त किए गए शेयरों की बिक्री के जरिए वसूली गई।