लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मथुरा में 62 आईटीआई संस्थानों में आपत्र विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने का बड़ा घोटाला उजागर होने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। निलंबन से लेकर एफआईआर तक की कार्रवाई शुरू हो गयी है। लेकिन आईटीआई के अलावा अन्य कोर्सों के लिए दी जाने वाली छात्रवृत्ति की भी जांच होनी चाहिए, जिससे छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों-अरबों रुपये डकारने वाले अन्य लोगों के नाम भी सामने आ सकें।
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सूत्रों की माने तो समाज कल्याण विभाग कई कोर्सों के लिए छात्रवृत्ति देता है। इसमें कई ऐसे विद्यार्थियों के नाम पर छात्रवृत्ति ली जाती है, जिनका नाम सिर्फ कागजों में दर्ज होते हैं। संस्थान और अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों-अरबों रुपयों का फर्जीवाड़ा किया जाता है।
सूत्रों की माने तो समाज कल्याण विभाग द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति की जांच सही से हो जाए तो कई संस्थान और कई रसूखदार चेहरे बेनकाब हो जायेंगे। बता दें कि, मथुरा जिले में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के 23 करोड़ रुपये के घोटाले में फंसे 62 आईटीआई (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) से शीघ्र रिकवरी की जाएगी। शासन स्तर से गठित समिति की जांच में घोटाले की पुष्टि के बाद जिला प्रशासन को रिकवरी के आदेश किए गए हैं। घोटाले में शामिल 62 संस्थानों में 11 ऐसे हैं, जो गैर मान्यता प्राप्त हैं।
रसूखदार और नेताओं के ज्यादातर स्कूल!
सूत्रों की माने तो प्रदेश में ज्यादार स्कूल और कालेज रसूखदार और नेताओं के हैं। समाज कल्याण विभाग की मेहरबानी भी इनके स्कूल और कालेजों पर खूब होती है। सूत्र बताते हैं कि इनके कालेजों में छात्रवृत्ति के नाम पर बड़ा खेल भी किया जाता है। ज्यादातर विद्यार्थियों के नाम कालेज के कागजों में दर्ज होते हैं और उनके नाम पर छात्रवृत्ति ली जाती है।