Omprakash Rajbhar jeevan parichay: अपने बयानों के कारण अक्सर सुर्खियों में रहने वाले ओमप्रकाश राजभर का राजनीतिक सफर बहुत ही संघर्षों से भरा रहा है। राजनीति में अपनी जमीन तैयार करने के लिए उन्होंने कड़ी मशक्कत की है। दलित और पिछड़ों की बात करने वाले ओमप्रकाश राजभर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। भाजपा सरकार में वे कैबिनेट मंत्री भी थे लेकिन अपने बयानों में वे अक्सर पार्टी पर निशाना साधते रहते थे। लिहाजा, उन्होंने भाजपा से खुद को अलग कर लिया। दरअसल, इससे पहले उन्होंने मायावती से बगापत करके सुभासपा का गठन किया था।
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जीवन शैली…
बता दें ओमप्रकाश राजभर का जन्म वाराणसी में हुआ था। इसके साथ ही उन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई की है। राजनीति में आने के बाद राजभर 35 सालों तक संघर्ष किए। संघर्ष के बूते उन्होंने खुद को अति पिछड़ों के नेता के रूप में स्थापित किया। इनका प्रभाव पूर्वांचल के कई जिलों में है।
राजनीतिक इतिहास
ओमप्रकाश राजभर बसपा संस्थापक कांशीराम से प्रभावित होकर 1981 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा था। लेकिन मायावती ने भदोही का नाम संतकबीर नगर किया तो राजभर ने विरोध किया। इसके बाद 27 अक्टूबर 2002 में बसपा से अलग होकर सुभासपा का गठन किया था। 2004 से चुनाव लड़ रही भासपा ने यूपी और बिहार के चुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े किए मगर ज़्यादातर मौकों पर जीतने से ज़्यादा खेल बिगाड़ने वाले बने रहे। मगर इस बार भाजपा के साथ गठबंधन करके उन्होने सत्ता के साथ रहने का सुख पा लिया।
ये है पूरा सफरनामा
नाम — ओमप्रकाश राजभर
पिता — सन्नू राजभर
जन्म तिथि — 15 सितम्बर, 1962
जन्म स्थान — वाराणसी
धर्म — हिन्दू
जाति — पिछड़ी जाति (भर)
शिक्षा — स्नातक
पत्नी का नाम — तारामनी
सन्तान — दो पुत्र, दो पुत्रियाँ
व्यवसाय — कृषि
मुख्यावास — ग्राम मीरनगंज ढिगिरचा, पोस्ट-रामपुर रसड़ा, जनपद-बलिया।
राजनीतिक योगदान
मार्च, 2017 सत्रहवीं विधान सभा सदस्य प्रथम बार निर्वाचित