लखनऊ। अवध और लखनऊ के इतिहास के इनसाइक्लोपीडिया कहे जाने वाले पद्मश्री डॉ.योगेश प्रवीन का सोमवार को लखनऊ में निधन हो गया है। बता दें कि 82 वर्षीय डॉ योगेश प्रवीन की तबीयत आज कुछ खराब लग रही थी। उनके परिवार के लोग प्राइवेट वाहन से उनको लेकर अस्पताल ले जा रहे थे, तभी रास्ते में उनका निधन हो गया है।
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लखनऊ के इतिहास को जानने-समझने का सबसे बड़ा माध्यम इतिहासकार योगेश प्रवीन बन चुके थे। इनको पद्म पुरस्कार नवाजा जा चुका था। उन्होंने कहा कि अक्सर इंसान को सब कुछ समय पर नहीं मिलता। डॉ. योगेश प्रवीन विद्यांत हिन्दू डिग्री कॉलेज से बतौर प्रवक्ता वर्ष 2002 में सेवानिवृत्त हुए थे। पिछले चार दशक से पुस्तक लेखन के अलावा समाचार पत्र-पत्रिकाओं में लेखन किया।
योगेश प्रवीन लखनऊ और अवध पर अब तक ढेरों किताबें लिख चुके हैं। इसके अलावा अवध और लखनऊ का इतिहास खंगालती कई महत्वपूर्ण किताबों के लिए उन्हें कई पुरस्कार व सम्मान भी मिल चुका है। उनकी अब तक 30 से अधिक किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं, जो अवध की संस्कृति और लखनऊ की सांस्कृतिक विरासत पर आधारित हैं।
रामकथा महाकाव्य अपराजिता, उर्दू में कृष्ण पर आधारित विरह बांसुरी के अलावा दास्ताने अवध, ताजेदार अवध, गुलिस्ताने अवध, लखनऊ मॉन्युमेंट्स, लक्ष्मणपुर की आत्मकथा, हिस्ट्री ऑफ लखनऊ कैंट, पत्थर के स्वप्न, अंक विलास, लखनऊनामा, दास्ताने लखनऊ, लखनऊ के मोहल्ले और उन की शान, किताबों के माध्यम से गुजरे लखनऊ के नजारों से रूबरू किताबें खासी चर्चित हैं।