Parashuram Jayanti 2022 : भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। भगवान शिव की कठोर तपस्या करने के बाद इन्हें वरदान भी प्राप्त हुआ। भगवान शिव ने ही प्रसन्न होकर परशुराम जी को विभिन्न अस्त्र-शस्त्रों को दिया था। भगवान परशुराम शिव भक्त थे। भगवान परशुराम कंधे पर परशु धारण करते थे इस कारण से इनका नाम परशुराम पड़ गया। पौराणिक कथाओं के अनुसार वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका के घर में परशुराम जी का जन्म हुआ था। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि परशुराम का अवतार अमर है भगवान परशुराम युद्ध शिक्षक थे। यह भी कहा जाता है कि परशुराम एक महान योद्धा थे और भीष्म, कर्ण और द्रोणाचार्य के गुरु थे।
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ये है शुभ मुहूर्त
इस साल आज 3 मई को अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती मनाई जा रही है। मंगलवार की सुबह 5 बजकर 19 मिनट से तृतीया तिथि का आरंभ होगा जो 4 मई की सुबह 07 बजकर 33 मिनट तक रहेगी। इस दिन रोहिणी नक्षत्र भी पड़ रहा है और मातंग नाम का शुभ योग भी बन रहा है। ऐसे में इस बार ये तिथि बेहद शुभ मानी जा रही है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने शिव की घोर उपासना की थी। उन्होंने अपने परशु यानी फरसे को धरती पर रख दिया था। इस फरसे की ऊपरी आकृति कुछ त्रिशूल से मिलती-जुलती है। यही वजह है कि श्रद्धालु इस फरसे की पूजा करते है।धरती पर अन्याय और पाप के विनाश के लिए जन्मे भगवान परशुराम की जयंती पर विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना होती है। वैसे तो परशुराम जी को बेहद क्रोधी माना जाता है लेकिन विधि-विधान से पूजा करने पर वे अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं और उनके जीवन में आने वाले सारे कष्टों को दूर कर देते हैं। भगवान परशुराम जी को भगवान शिव का एकमात्र शिष्य भी माना जाता है। ऐसे में वे अपने गुरु की तरह ही भक्तों पर जल्द प्रसन्न होने वाले भी माने जाते हैं।