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PM Modi बोले- छोटे शहरों-कस्बों तक  सस्ता इलाज दिलाना प्राथमिकता , देश में अच्छे और आधुनिक हेल्थ इंफ्रा का होना बहुत जरूरी

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च पर आयोजित वेबिनार को संबोधित किया।  उन्होंने कहा कि ‘पीएम आयुष्मान भारत’ हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए क्रिटिकल हेल्थ इंफ्रा को छोटे शहरों और कस्बों तक ले जाया जा रहा है। छोटे शहरों में नए अस्पताल तो बन ही रहे हैं, हेल्थ सेक्टर से जुड़ा एक पूरा इको सिस्टम भी विकसित हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘देश में अच्छे और आधुनिक हेल्थ इंफ्रा का होना बहुत जरूरी है। आज देश में डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तैयार हो रहे हैं। इन सेंटरों में डायबिटीज, कैंसर और हार्ट से जुड़ी गंभीर बीमारियों की स्क्रीनिंग की सुविधा है।

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प्रधानमंत्री ने कहा,कि ‘हमारे यहां करीब नौ हजार जन औषधि केंद्र हैं और यहां बाजार भाव से बहुत सस्ती दवाएं उपलब्ध हैं। इससे भी गरीब और मिडिल क्लास परिवारों को लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘आयुष्मान भारत के तहत पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज से देश के करोड़ों मरीजों के लगभग 80 हजार करोड़ रुपये बीमारी में उपचार के लिए खर्च होने वाले थे वो बचे हैं। हम निरंतर यह प्रयास कर रहे हैं कि भारत की विदेशों पर निर्भरता कम से कम हो। भारत में इलाज को affordable बनाना हमारी सरकार की प्राथमिकता.

बेहतर परिणाम आ रहे

पीएम मोदी ने कहा, कि गंदगी से होने वली बीमारियों से बचाने के लिए स्वच्छ भारत अभियान हो, धुंए से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए उज्ज्वला योजना हो, दूषित पानी से बचाने के लिए जल जीवन मिशन हो… इनके बेहतर परिणाम आज देश के सामने आ रहे हैं।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कभी-कभी आपदा भी खुद को साबित करने का अवसर लेकर आती है। कोविड काल में भारत के फार्मा सेक्टर ने जिस प्रकार से पूरी दुनिया का विश्वास हासिल किया है वो अभूतपूर्व है। इसे हमें कैपटलाइज्ड करना ही होगा।’

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उन्होंने कहा,कि ‘ड्रोन टेक्नोलॉजी की वजह से दवाओं की डिलीवरी और टेस्टिंग से जुड़े लॉजिस्टिक में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आता दिख रहा है। हमारे उद्यमिता ये सुनिश्चित करें कि हमें कोई भी तकनीक को आयात करने से बचना चाहिए… आत्मनिर्भर अब बनना ही है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्षों में 260 से अधिक मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। मेडिकल सीटों की संख्या 2014 के बाद आज दोगुनी हो चुकी है। मेडिकल कॉलेज के पास ही 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोलना… मेडिकल ह्यूमन रिसोर्स के लिए एक बड़ा कदम है।

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