Pooja Paath Mein Aasan : सनातन धर्म पूजा पाठ का विशेष् महत्व है। मन की शान्ति के साथ ही मनोकामना की पूर्ती के लिए भगवान का ध्यान करना विश फलदायी माना गया है। वैदिक काल से ही भारतवर्ष् में यज्ञ, हवन, जप ,तप एवं कठिन योग करके संन्यासी और गृहस्थ ईश्वर को प्रसन्न करते रहे है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पूजा पाठ के लिए आसन बहुत महत्वपूर्ण है। विना आसन पर बैठ कर पूजा पाठ करना शुभ नहीं माना जाता है। पूजा स्थान में पूजा करते समय आसन बिछाकर उस पर बैठकर पूजा पाठ करनी चाहिए। पूजा में आसन का विशेष महत्व होता है। इसके साथ ही आसन (puja asana) से जुड़े कुछ खास नियम भी होते हैं।
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आसन बिछाना जरूरी माना जाता है
पृथ्वी में चुंबकीय बल यानी गुरुत्वाकर्षण है। जब कोई व्यक्ति विशेष मंत्रों का ध्यान और जप करता है तो, उसके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।। यदि आपने कोई आसन नहीं रखा है तो ये ऊर्जा पृथ्वी में समा जाती है और आपको कोई लाभ नहीं मिलता है। इसलिए, पूजा के दौरान आसन बिछाना जरूरी माना (worship asanas importance) जाता है।
कपड़े के आसन पर बैठकर पूजा करनी चाहिए
1.जिस पर भक्त बैठकर ईश्वर की आराधना करते हैं. उसे आसन कहा जाता है।
2.लकड़ी की चौकी, घास फूस से बनी चटाई, पत्तों से बने आसन, या किसी कपड़े के आसन पर बैठकर पूजा करनी चाहिए।
3.भक्तों को कभी भी जमीन पर बैठकर पूजा नहीं करनी चाहिए।
4.पूजा के आसन को हमेशा साफ हाथों से उठाकर सही दिशा में लगाना चाहिए।
5.पूजा करने के बाद आसन से सीधे नहीं उठना चाहिए. बल्कि, सबसे पहले आसन से जल लेकर भूमि पर चढ़ाएं और भूमि को प्रणाम करें।
6.पूजा करते समय कभी भी दूसरे इंसान के आसन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।