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राहुल गांधी का पीएम मोदी पर तंज , बोले- एक तो महामारी, उस पर प्रधान अहंकारी

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच रविवार को एक बार फिर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसा है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि एक तो महामारी और उस पर प्रधान अहंकारी। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कोरोना महामारी से निपटने को लेकर केंद्र सरकार के ऊपर लगातार हमलावर हैं। इससे पहले उन्होंने शनिवार को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए ट्वीट किया है कि कोरोना की वैक्सीन नहीं, सबसे कम जीडीपी है और कोराना से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। भारत सरकार की क्या प्रतिक्रिया है और पीएम रोते हैं।

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वायनाड के सांसद ने विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु द्वारा साझा किया गया एक चार्ट ट्वीट किया, जिसमें भारत की वार्षिक जीडीपी वृद्धि और प्रति मिलियन जनसंख्या पर कोविड-19 मौतों के आंकड़े दिखाए गए।

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चार्ट को साझा करते हुए कौशिक बसु ने ट्वीट किया कि भारत को दोनों मामलों में चार्ट में सबसे नीचे देखना चौंकाने वाला था। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था पर नवीनतम आंकडे़ वाले चार्ट में भारत को ढूंढना चौंकाने वाला था। यह दुनिया के सबसे बड़े टीका उत्पादकों में से एक है और 6 साल पहले तक यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक था। चार्ट ने दिखाया गया है साल 2020 में भारत की वार्षिक जीडीपी वृद्धि माइनस 8.0 फीसदी थी। वहीं, यह भी बताया गया है कि 21 मई तक भारत में प्रति एक मिलियन लोगों पर 212 मौतें दर्ज की हैं।

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान कोरोना टीकों की घोर किल्लत बनी हुई है। इन हालात का ठीकरा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक सुरेश जाधव ने मोदी सरकार के ही सिर पर फोड़ दिया है। पुणे स्थित कंपनी के कार्यकारी निदेशक ने कहा कि सरकार ने डब्ल्यूएचओ के दिशा निर्देशों और अपने पास मौजूद टीकों के स्टॉक का आंकलन किए बिना ही विभिन्न आयु वर्गों के लोगों का टीकाकरण शुरू कर दिया।

जाधव ने कहा कि देश को डब्ल्यूएचओ के निर्देशों का पालन करना चाहिए। उसके हिसाब से ही टीकाकरण की प्राथमिकता तय करनी चाहिए।उन्होंने कहा कि शुरुआत में 30 करोड़ लोगों को टीका दिया जाना था, जिसके लिए 60 करोड़ खुराक की आवश्यकता थी, लेकिन हमारे तय लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही सरकार ने पहले 45 साल से ऊपर के और फिर 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम के दरवाजे खोल दिए।

सरकार ने यह कदम इसके बावजूद यह अच्छी तरह जानते हुए उठाया कि इतनी संख्या में टीके उपलब्ध ही नहीं है। जाधव ने कहा कि यह हमारा सीखा गया सबसे बड़ा सबक है। हमें उत्पाद की उपलब्धता को ध्यान में रखना चाहिए और फिर इसका विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करना चाहिए।

 

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