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Rajasthan News : गैंगस्टर राजू ठेहट की गोली मारकर हत्या, बिश्नोई गैंग के रोहित गोदारा ने ली हत्या की जिम्मेदारी

By संतोष सिंह 
Updated Date

Rajasthan News : राजस्थान के सीकर में गैंगस्टर राजू ठेहट(Gangster Raju Thehat ) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। चार-छह बदमाशों ने राजू ठेहट (Raju Thehat ) को उसके घर के पास ही गोली मार दी है। राजू ठेहट की आनंदपाल गैंग और बिश्नोई गैंग से रंजिश चल रही थी। लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) के रोहित गोदारा (Rohit Godara) ने हत्याकांड की जिम्मेदारी ली है। रोहित गोदारा (Rohit Godara) ने लिखा कि उसने आनंदपाल और और बलबीर की हत्या का बदला ले लिया है।

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राजू ठेहट (Raju Thehat ) की हत्या की सूचना पर पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। पुलिस ने पूरे जिले में नाकाबंदी कर दी है। राजू ठेहत (Raju Thehat )  के तीन गोली लगने की सूचना मिली है। हरियाणा और झुंझुनू की सीमाओं को सील कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि गैंगस्टर राजू ठेहट (Raju Thehat )  अपराध की दुनिया को छोड़ कर राजनीति में आनेवाला था।

सीकर के एसपी कुंवर राष्ट्रदीप (Sikar SP Kunwar Rashtradeep) ने बताया कि राजू ठेहट (Raju Thehat ) की हत्या कर दी गई। सीसीटीवी (CCTV)  के आधार पर हत्याकांड में चार युवकों के शामिल होने की बात सामने आई है। सीसीटीवी (CCTV) में दिख रहा है कि एक युवक राजू से बातचीत भी कर रहा है। ऐसा लग रहा है कि दोनों में जान-पहचान थी। मामले की जांच में पुलिस जुट गई है। वहीं रोहित गोदारा (Rohit Godara) के हत्याकांड की जिम्मेदारी लेने पर एसपी ने कहा कि इसकी जांच करवाई जा रही है।

क्राइम की दुनिया में 1995 में राजू ठेहट ने ली थी एंट्री

राजू ठेहट का अपराध की दुनिया में नाम गैंगस्टर आनंदपाल सिंह (Gangster Anandpal Singh) से पहले से ही फैला हुआ था। आनंदपाल सिंह की मौत के बाद भी राजू ठेहट की दबंगई कम नहीं हुई। अपराध के दुनिया में ठेहट ने 1995 के दौर में एंट्री की थी। उस समय भाजपा की भैरोंसिंह सरकार हवा के झोंके में झूल रही थी और राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लागू था। सीकर का एसके कॉलेज शेखावाटी के राजनीतिक का केंद्र था। कॉलेज में एबीवीपी का दबदबा था। गोपाल फोगावट (Gopal Phogat) शराब के धंधे से जुड़ा हुआ था। जिसके संरक्षण में राजू ठेहठ भी शराब का अवैध कारोबार करने लगा।

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ठेहट करता था अवैध शराब का कारोबार

फोगावट के साथ काम करते हुए राजू ठेहट की मुलाकात बलबीर बानुडा से हुई। बानुडा दूध का व्यापार करता था लेकिन राजू ठेहट से मुलाकात के बाद बानुडा को खूब पैसा कमाने की लत लगी। वह भी राजू ठेहट के साथ मिलकर शराब का कारोबार करने लगा। साल 1998 में बलबीर बानुडा और राजू ठेहट ने मिलकर सीकर में भेभाराम हत्याकांड (Bhebharam Murder Case) को अंजाम दे दिया। यहीं से शेखावाटी में गैंगवार की शुरुआत हो गई। 1998 से लेकर 2004 तक बानुडा और राजू ठेहट (Raju Thehat ) ने शेखावाटी में शराब के अवैध कारोबार बेरोकटोक करने लगे। अगर कोई इस धंधे में शामिल उनकी जी हजूरी नहीं करता तो दोनों उसे रास्ते से हटा देते।

बलबीर बानूडा से दोस्ती दुश्मनी में बदली

2004 में वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) के पास राजस्थान की गद्दी थी। राजस्थान मे शराब के ठेकों की लॉटरी निकाली गई। जिसमें जीण माता में शराब की दुकान राजू ठेहट (Raju Thehat )और बलबीर बानुडा को मिली। दुकान शुरू हुई और उस पर बलबीर बानुडा का साला विजयपाल सेल्समैन के तौर पर रहने लगा। दिनभर में हुई शराब की खपत का हिसाब शाम को विजयपाल बानुडा (Vijaypal Banuda)और ठेहट दोनों को देता था। दुकान से जिस प्रकार की बचत राजू ठेहट (Raju Thehat ) चाहता था, वह बचत उसे मिल नहीं रही थी। ठेहट को लगा की विजयपाल दुकान की शराब बेचने की बजाय ब्लैक में शराब बेचता है। इसी बात को लेकर राजू ठेहट (Raju Thehat ) और विजयपाल में कहासुनी हो गई और कहासुनी इस हद तक बढ़ गई की राजू ठेहट (Raju Thehat ) ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या कर दी। विजयपाल की हत्या के बाद राजू ठेहट और बलबीर बानुडा की दोस्ती अब दुश्मनी में बदल गई। बलबीर बानुडा (Balbir Banuda) अब अपने साले विजयपाल की हत्या का बदला लेने पर उतारू हो गया।

बानूडा से दुश्मनी और सीकर गोलियों से दहलने लगा

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राजू ठेहट (Raju Thehat ) पर गोपाल फोगावट का हाथ था इसलिए ठेहट से बदला लेना इतना भी आसान नहीं था। बदला लेने के लिए बलबीर बानुडा ने नागौर जिले के सावराद गांव के रहने वाले आनंदपाल सिंह (Anandpal Singh) से हाथ मिलाया। राजू ठेहट आर्थिक रूप से आनंदपाल और बलबीर बानुडा के मुकाबले मजबूत था। बदला लेने के लिए आर्थिक रूप से भी मजबूत होना बेहद जरूरी था। इसलिए आनंदपाल और बलबीर बानुडा (Balbir Banuda) ने शराब और माइनिंग का कारोबार शुरू किया। जिसमें दोनों को फायदा भी मिला ।

इसी क्रम में चलते-चलते अपनी गैंग को भी मजबूत बना लिया, दोनों गैंग के गुर्गों के बीच लगातार गैंगवार होती रही और दोनों तरफ खून की नदियां बहती रही। राजू का शराब का कारोबार राजस्थान के अलावा हरियाणा तक फैल चुका था। ठेहट को राजनीति से सरंक्षण था। इसलिए एक राज्य से दूसरे राज्य में शराब के ट्रक बिना रोक टोक जाने लगे। आनंदपाल और बलबीर बानुडा राजू ठेहट (Raju Thehat के शराब के भरे ट्रकों को ही लूटने लगे। जिसके चलते ठेहट को आर्थिक रूप से संकट झेलना पड़ा।

राजू के संरक्षक की हत्या से बानुडा ने लिया बदला

आनंदपाल और बानूडा ने जून 2006 में राजू ठेहट के सरंक्षक गोपाल फोगावट (Patron Gopal Phogavat) को गोलियों से छलनी कर दिया। अब गोपाल फोगावट की हत्या के बाद बदले की आग राजू ठेहट के अंदर भी जलने लगी। साल 2012 तक दोनों गैंग अंडरग्राउंड रही और जब 2012 में बलबीर बानुडा (Balbir Banuda) , आनंदपाल और राजू ठेहट की गिरफ्तारी हुई तो बदले की आग फिर सुलगने लगी। बानुडा के खास दोस्त सुभाष बराल ने 26 जनवरी 2013 को सीकर जेल मे बंद राजू ठेहट (Raju Thehat ) पर हमला कर दिया लेकिन इस हमले में राजू ठेहट (Raju Thehat ) बच गया।

हमले के बाद राजू ठेहट (Raju Thehat ) ने अपनी गैंग की कमान अपने भाई ओमप्रकाश उर्फ ओमा ठेहट को सौंप दी। इसी दौरान आनंदपाल और बलबीर बानुडा बीकानेर जेल मे बंद थे। संयोग से ओमा ठेहट का साला जयप्रकाश और रामप्रकाश भी बीकानेर जेल मे ही बंद थे। बदला लेने के लिए दोनों के पास हथियार पहुंचाए और 24 जुलाई 2014 को बीकानेर जेल (Bikaner Jail) मे बलवीर बानुडा (Balbir Banuda)  और आनंदपाल पर हमला बोल दिया गया। इस हमले में आनंदपाल तो बच गया लेकिन बलवीर बानूडा (Balbir Banuda)  मारा गया। बानूडा की मौत के बाद आनंदपाल ने बदला लेने की ठान ली और राजू ठेहट (Raju Thehat )  को मौत के घाट उतारने की कसम खा ली। दोनों गैंगों में गैंगवार होने लगी। इसी बीच एनकाउंटर में आनंदपाल मारा गया। अब ठेहट की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

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