नई दिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की कंपनी रुचि सोया (Ruchi Soya) का एफपीओ (FPO) गुरुवार को लॉन्च किया गया है। इसके जरिए कंपनी की बाजार से 4300 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है। इस दौरान बाबा रामदेव (Baba Ramdev) ने कहा कि पतंजलि (Patanjali) परिवार के लिए यह बड़ा दिन है। उन्होंने कहा कि अगले पांच साल में पतंजलि और रुचि सोया (Ruchi Soya) नंबर वन एफएमसीजी फर्म (FMCG Firm) होगी।
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एंकर निवेशकों से जुटाए 1290 करोड़
बाबा रामदेव (Baba Ramdev) ने बताया कि लॉन्च से पहले एंकर निवेशकों के माध्यम से कंपनी ने 1290 करोड़ रुपये की राशि जुटाई है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि शेयर बाजार में चंद लोग ही लाभ उठाते हैं, जबकि आम लोगों को बाजार की बातें समझ नहीं आती थी। रामदेव ने कहा कि हमने जैसे योग को घर-घर पहुंचाने का काम किया है, ठीक वैसे ही अब समृद्धि का संदेश घर-घर पहुंचा रहे हैं।
रुचि सोया को कर्जमुक्त बनाएंगे
बाबा रामदेव (Baba Ramdev) ने कहा कि अगले महीने रुचि सोया (Ruchi Soya) कंपनी पूरी तरह से कर्ज मुक्त हो जाएगी। बता दें कि कंपनी पर 3300 करोड़ रुपये का कर्ज है। बाबा रामदेव (Baba Ramdev) ने दावा किया कि अप्रैल के शुरू में ये कर्ज चुकता हो जाएगा। उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी भीषण युद्ध के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव भरे माहौल के बीच जब कोई बाजार में उतरने को तैयार ही है, ऐसे समय में हमने बाजार में पैर रखा है।
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28 मार्च तक खुला है एफपीओ
बता दें कि रामदेव की कंपनी रुचि सोया (Ruchi Soya) फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) गुरुवार 24 मार्च को खुला और यह सब्सक्रिप्शन के लिए 28 मार्च तक खुला रहेगा। इसके लिए कंपनी ने प्राइस बैंड 615 से 650 रुपये प्रति शेयर तय किया है। इस ऑफर के जरिए 4,300 करोड़ रुपये तक जुटाने की योजना बना रही है। रुचि सोया (Ruchi Soya) का मालिकाना हक बाबा रामदेव के नेतृत्व वाली कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के पास है।
रुचि सोया को पिछले साल अगस्त में एफपीओ लाने के लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी की मंजूरी मिली थी
खाद्य तेल बनाने वाली कंपनी रुचि सोया (Ruchi Soya) को पिछले साल अगस्त में एफपीओ (FPO) लाने के लिए पूंजी बाजार नियामक सेबी की मंजूरी मिली थी। पतंजलि ने साल 2019 में 4,350 करोड़ रुपये में एक दिवाला प्रक्रिया के माध्यम से रुचि सोया को खरीदा था। कंपनी के प्रमोटर्स के पास फिलहाल करीब 99 फीसदी हिस्सेदारी है। कंपनी को एफपीओ के इस दौर में कम से कम नौ फीसदी हिस्सेदारी बेचनी है।