नई दिल्ली । भारत से हजारों किमी दूर रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है, लेकिन जंग के प्रभाव से हमारा देश भी अछूता नहीं रहेगा। भारत को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। युद्ध की वजह से क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल का दाम तेजी से बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया है। इसकी वजह से भारत को करीब एक लाख करोड़ रुपये तक का चपत लगेगी।
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भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अपनी एक रिपोर्ट के मुताबिक, युद्ध लंबा खिंचा तो अगले वित्त वर्ष में सरकार के राजस्व में 95 हजार करोड़ से एक लाख करोड़ रुपये तक कमी आ सकती है। इसके साथ ही घरेलू महंगाई भी बढ़ेगी। क्योंकि सभी वस्तुओं व उत्पादों की कीमतों पर असर हो सकता है।
हर महीने 8,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान
जापानी शोध कंपनी नोमुरा का दावा है कि इस संकट में भारत को एशिया में सर्वाधिक नुकसान होगा। एसबीआई के समूह प्रमुख आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष की रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2021 से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ रही है।
हालांकि भारत में सरकार ने इसे काबू रखा है। अगर कीमत 100 से 110 डॉलर की सीमा में रहती है तो वैट के ढांचे के अनुसार, पेट्रोल-डीजल की कीमत मौजूदा दर से 9 से 14 रुपये प्रति लीटर अधिक होनी चाहिए। सरकार उत्पाद कर घटा कीमत बढ़ने से रोकती है, तो हर महीने 8,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा।
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महंगाई पर सीधा असर
अगले वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल की मांग 8 से 10 प्रतिशत बढ़ती है, तो पूरे वर्ष में नुकसान एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंचेगा। ये कीमतें महंगाई पर सीधा असर डालेंगी। अप्रैल 2021 में 63.4 डॉलर से तेल की कीमतें जनवरी 2022 में 84.67 डॉलर तक पहुंच गईं, यानी करीब 33.5 फीसदी वृद्धि हुई। यह 100 डॉलर के पारी चली जाती है, तो महंगाई और भी बढ़ेगी।
भले ही इस युद्ध से भारत के रणनीतिक हित नहीं जुड़े हैं पर आर्थिक असर होना तय माना जा रहा है। रूस पर प्रतिबंधों से भारत से निर्यात होने वाली चाय और अन्य नियमित उत्पादों पर भी असर पड़ सकता है।