Shankh astrology : सनातन धर्म शंख का विशेष स्थान है। हिंदू धर्म में सभी शुभ कार्यो में शंख का उपयोग किया है। सनातन धर्म में शंख सबसे शुभ प्रतीकों में से एक है।श्री विष्णु अपने एक हाथ में ‘पंच-जन्य’ नामक शंख धारण करते हैं। ‘पंचजन्य’ एक संस्कृत शब्द है जिसका व्यापक अर्थ है ‘पांचों के मिलन से पैदा हुआ’। सभी देवी-देवताओं, रामायण, महाभारत आदि के प्रमुख योद्धाओं के अपने-अपने शंख हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशिष्ट नाम है।
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शंख को ही नाद-ब्रह्मा के प्रतीक के रूप में भी पूजा जाता है, जो ध्वनि के रूप में व्यक्त की गई परम वास्तविकता की रचनात्मक शक्ति है।दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी स्वरूप कहा जाता है इसके बिना लक्ष्मी जी की आराधना पूरी नहीं मानी जाती। समुद्र मंथन के दौरान १४ रत्नों में से ये एक रत्न है सुख- सौभाग्य की वृद्धि के लिए इसे अपने घर में स्थापित किया जाता है।
1.शंख में १००% कैल्शियम है इसमें रात को पानी भर के पीने से कैल्शियम की पूर्ति होती है
2.शंख बजाने से हृदयाघात, रक्तचाप की अनियमितता, दमा, मंदाग्नि में लाभ होता है
3.शंख बजाने से फेफड़े पुष्ट होते है
4.शंख में पानी रखकर पीने से मनोरोगी को लाभ होता है उत्तेजना कम होती है
5.शंख की ध्वनि से दिमाग व स्नायु तंत्र सक्रिय रहता है
6.शंख में दूध भर कर रुद्राभिषेक करने से समस्त पापों का नाश होता है
7.घर में शंख बजाने से नकारात्मक ऊर्जा का व् अतृप्त आत्माओ का वास नहीं होता
8.शंख सफ़ेद कपड़े में रखने से शुक्र ग्रह बलवान होता है