Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग लगातार बढ़ती चली जा रही है। वहीं इस समय रूस द्वारा लगातार हमले किए जा रहे हैं और अब तक कई भारतीय छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं। वहीं कई ऐसे भी छात्र हैं जो सुरक्षित भारत लौट आए हैं, वहीं जो रह गए हैं उन्हें भी लाने की तैयारी की जा रही है। अब इस युद्ध में एक बार फिर एक्टर सोनू सूद मसीहा बन गए हैं।
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हाल ही में यूक्रेन से सुरक्षित लौटे एक छात्र ने वहीं का पूरा हाल सुनाया और बताया कि सोनू सूद की टीम ने कैसे उनकी मदद की। आप देख सकते हैं खुद सोनू ने इस वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर किया है। जी दरअसल यूक्रेन से जब फ्लाइट दिल्ली आई तो छात्र ने अपनी पूरी कहानी सुनाई।
इस वीडियो में छात्र कह रहा है- ‘मैं ल्वीव का मेडिकल स्टूडेंट हूं औऱ यह सबसे सेफ था। एंबैसी से हमें 15 दिनों पर युद्ध के कंडिशन के बारे में नोटिस आया कि आपकी इच्छा हो तो आप जा सकते हैं और यदि आपको सेफ लग रहा हो तो आप रुक सकते हो। सभी कह रहे थे कि ल्वीव सेफ है, यूनिवर्सिटी तो ये कह रही थी कि वॉर तो 8 साल से चल रहा है तो यूनिवर्सिटी थोड़े बंद कर देंगे।
#BREAKING | INDIA RAMPS UP EVACUATION
As the 4th evacuation flight from #Ukraine carrying stranded Indians lands in Delhi, Mirror Now's @Iam_Ayushmann speaks to students who share their ordeal. A student said he got in touch with @SonuSood's team for guidance & help. pic.twitter.com/ew37hkEcpm
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— Mirror Now (@MirrorNow) March 2, 2022
उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी खुली रहेगी और यूक्रेन का सिस्टम ये है कि तीन एब्सेंट पर वे निकाल देते हैं। इसलिए डरकर मैं नहीं आया। जब ये कंडिशन शुरू हुई, एंबैसी ने कहा जिनके पास जो बॉर्डर है आप वहां से निकल जाइए। मेरे पास था पोलैंड बॉर्डर।’ वहीं आगे छात्र ने कहा- ‘पोलैंड बॉर्डर में 3 बॉर्डर हैं, मैं निकला और रात हो चुकी थी। बस ने मुझे 20 मिनट पहले उतार दिया था।
ठंड में बड़ी मुश्किल से हमने अपने लिए सेंटर ढूंढा, सुबह होते ही हम वहां से निकले और मेरे फ्रेंड ने वीडियो भेजा कि वहां मारपीट हो रही है और बच्चों के साथ गंदा सलूक हो रहा है। फिर मैं गया नहीं और लौटकर आ गया। इसके बाद मेरा कॉन्टैक्ट हुआ सोनू सूद की टीम से। उनकी टीम ने मुझे गाइड किया और बताया कि कौन सा बॉर्डर सबसे सेफ है, जबकि उस बॉर्डर का मेंशन एंबेसी ने नहीं किया था। मैं रात के 12 बजे निकला और तिरंगा लगाकर निकाला और इसका असर ये हुआ कि झंडे को देखकर किसी ने रोका नहीं और बॉर्डर पर हमें खाना भी खिलाया। फिर वहां से मैं सुरक्षित निकल पाया।’