नई दिल्ली। मीडिया में हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कड़ा रुख अपनाते हुए टीवी चैनलों (TV channels) को लताड़ लगाई है। कोर्ट ने कहा कि टीवी चैनलों (TV channels) पर डिबेट के दौरान ऐंकर की बड़ी जिम्मेदारी होती है। उसे हेट स्पीच (Hate Speech) रोकनी चाहिए। केेंद्र सरकार पर भी सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि इस मामले में आखिर सरकार मूक दर्शक क्यों बनी रहती है? पिछले साल फाइल की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस केएम जोसेफ (Justice KM Joseph) ने कहा कि मुख्यधारा की मीडिया और सोशल मीडिया पर दिए जाने वाले भाषणों पर कोई नियंत्रण नहीं है। ऐसे में ऐंकर की जिम्मेदारी है कि वह हेट स्पीच (Hate Speech) को रोके।
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जस्टिस जोसेफ (Justice Joseph) ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता जरूरी है लेकिन हमें पता होनी चाहिए कि सीमा रेखा कहां है। उन्होंने कहा कि हेट स्पीच (Hate Speech) कई तरह की हो सकती है। यह वैसे ही है जैसे कि किसी की हत्या कर दी जाए या फिर उसे धीरे-धीरे मारा जाए। उन्होंने कहा कि सरकार को कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं करनी चाहिए लेकिन कम से कम इस मामले में कोर्ट का सहयोग करना चाहिए।
मामले की अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी। कोर्ट ने हेट स्पीच (Hate Speech) रोकने के लिए लॉ कमीशन (Law Commission) की सिफारिशों पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। साल 2017 में लॉ कमीशन ने सुप्रीम कोर्ट में हेट स्पीच (Hate Speech) को रोकने को लेकर रिपोर्ट दी थी। इसमें कहा गया था, ‘भारत के किसी भी कानून में हेट स्पीच (Hate Speech) को पारिभाषित नहीं किया गया है। हालांकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से इतर कुछ तरह के भाषणों पर प्रतिबंध लगाया गया है। आईपीसी की धारा 153सी, 505ए में भी भड़काऊ भाषण (Hate Speech) के खिलाफ रोक लगाने की बात है।’
बता दें कि टीवी पर शाम को होने वाली बहस अकसर सोशल मीडिया पर वायरल होती है। इसमें कई ऐसी क्लिप भी होती हैं जो कि हेट स्पीच से जुड़ी होती हैं। इस महीने की शुरुआत में गूगल और मेटा ने भी कहा है कि वह अपने प्लेटफॉर्म्स से ऐसे कॉन्टेंट को हटाएंगे। इसके अलावा युवाओं में मीडिया लिटरेसी (Media Literacy)को बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।