नई दिल्ली। शनिदेश शुक्रवार से वक्री हो गए हैं। शनि की उल्टी चाल का सबसे ज्यादा प्रभाव धनु, मकर और कुंभ राशि के जातकों पर पड़ेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तीनों ही राशि पर शनि की साढ़े साती भी चल रही है। कहा जाता है कि शनि की वक्री चाल में होने से परेशानियों में बढ़ोत्तरी हो जाती है। ज्योतिषाचार्य शनि की साढ़ेसाती और शनि ढैय्या से पीड़ित जातकों को शनि की वक्री चाल के दौरान सावधान रहने के लिए कहते हैं।
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शनिदेव इन राशि की जातकों की बढ़ाएंगे मुश्किलें
धनु, मकर व कुंभ राशि वालों की शनिदेव वक्री चाल के दौरान परेशानियां बढ़ा सकते हैं। शनि की साढ़े साती के तीन चरण होते हैं। धनु राशि वालों पर इसका अंतिम चरण चल रहा है। अंतिम चरण में शनि जाते-जाते कुछ न कुछ लाभ देकर जाते हैं। मकर राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा तो कुंभ राशि वालों पर पहला चरण चल रहा है। कहा जाता है कि शनि की साढ़े साती जिन जातकों की कुंडली में चल रही हो उन्हें इस दौरान कोई नया काम नहीं शुरू करना चाहिए। इसके अलावा धन निवेश से बचना चाहिए।
शनि की ढैय्या का प्रभाव
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शनि ढैय्या मिथुन व तुला राशि वालों पर चल रही है। राहत की बात यह है कि साल 2022 में शनि के राशि परिवर्तन करते ही मिथुन व तुला राशि वालों को शनि ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी। फिलहाल इन दो राशि वालों को भी शनि की व्रकी चाल के दौरान उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। सफलता पाने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ सकती है और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है।
शनि दोष कम करने के उपाय
शनि प्रकोप से बचने के लिए जातक को हर दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। शनि मंत्रों का जाप करने से लाभ होता है। मिट्टी के बर्तन में सरसों के तेल में अपनी परछाई देकर दान करना चाहिए। पीपल के पेड़ पर दीपक जलाना चाहिए।
शनि देव मंत्र
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शनि के मंत्र हैं- ‘ॐ शं शनैश्चरायै नमः’, ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’, ‘ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्रवंतु नः’।