प्रयागराज। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने बुधवार को संगमनगरी का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने जनपद में चल रही विभिन्न विकास परियोजनाओं का निरीक्षण किया और अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इसके बाद मुख्यमंत्री जी ने उच्च अधिकारियों के साथ संगम तट पर महाकुंभ और माघ मेला की तैयारियों को लेकर समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा कि 2019 के दिव्य और भव्य कुंभ को यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया है। 2025 के महाकुंभ से दुनिया भर की अपेक्षाएं जुड़ी हुई हैं। संसार के समक्ष अपने को भारत के नए प्रतीक चिह्न के रूप में प्रस्तुत करने का यह एक स्वर्णिम अवसर है। आगामी कुंभ में दुनिया भारत का सांस्कृतिक वैभव देखगी।
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प्रयागराज दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी ने सर्व प्रथम वीआईपी घाट पर मां गंगा का पूजन किया। उसके बाद वह संगम नोज पहुंचे, जहां उन्होंने मेलाधिकारी के साथ मेले की तैयारी का पूरा जायजा लिया। वहां से मुख्यमंत्री किला घाट पर बने पक्के घाट का निरीक्षण कर किले के अंदर भी तैयारियों को देखा। इसके बाद वह किला घाट, दशाश्वमेघ घाट के निर्माण कार्य एवं अक्षयवट, पातालपुरी व सरस्वती कूप कॉरिडोर आदि के कार्यों का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को सभी कार्यों को समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण ढंग से पूरा करने का निर्देश दिया।
माघ मेला की तैयारियों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसे महाकुंभ के पूर्वाभ्यास के तौर पर लें। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक क्षमता, सांस्कृतिक समृद्धि एवं पर्यटन की सुविधाओं को प्रदर्शित करते हुए हम इस बार के महाकुंभ को और दिव्य बनाएंगे। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आयोजन के दौरान स्वच्छता के मानक गढ़ें और इस बात का ध्यान रखें की मेला में प्रतिबंधित पॉलिथीन का प्रयोग ना होने पाए। इसके लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम का उपयोग करते हुए श्रद्धालुओं को जागरुक करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाकुंभ और माघ मेला के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करके भीड़ नियंत्रित कर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करें। उन्होंने कहा कि साधु-संतों और कल्पवासियों को समुचित व्यवस्था मिले। साथ ही किसी भी श्रद्धालु को कोई परेशानी न होने पाए। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सड़कों को दुरुस्त करने के साथ बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का विशेष ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि महाकुंभ और माघ मेला के दौरान स्थानीय कलाकारों के कला-शिल्प की बिक्री के लिए प्रदर्शनी लगाएं। इससे कलाकारों की आजीविका में मदद मिलेगी।