लखनऊ। पीएम मोदी और सीएम योगी की सबसे महत्वाकांक्षी योजना ‘जल जीवन मिशन’ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता जा रहा है। विभाग के बड़े अफसर इस भ्रष्टाचार की पटकथा लिख रहे हैं। किस कंपनी को टेंडर देना है बड़े साहब ने ये भी फिक्स कर दिया है। इसके एवज में कंपनी से भारी कश्मीन लिया जा रहा है। ये बड़े साहब कोई और नहीं बल्कि जल जीवन मिशन के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव और उनके करीबी हैं।
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बताया जा रहा है कि 16 हजार करोड़ के टेंडर में बड़ा खेल किया गया है। इसमें अपनी चहेती आधा दर्जन से ज्यादा कंपनियों को इन्होंने 10 हजार करोड़ का काम दे दिया गया है। इसकी एक लिस्ट भी एक पार्टी के नेता के पास पहुंची है। बताया जा रहा है कि जल्द ही उनकी तरफ से इसकी लिस्ट मीडिया के सामने रखी जाएगी, जिसमें बताया जाएगा कि किस तरह कमीशन लेकर चहेते कंपनियों को टेंडर दिया जा रहा है।
चहेतों का भी बोलबाला
बता दें कि, जल जीवन मिशन में कमीशन का खेल केवल प्रमुख सचिव तक ही सीमित नहीं है। उनके करीबी भी इसमें जमकर लूट कर रहे हैं। टेंडर दिलाने के नाम पर सबका कमीशन फिक्स है। सूत्रों की माने तो डीके सिंह, राजेश, गुरूचरण और राज विक्रम जैसे लोग खुद को बड़े अधिकारी का करीबी बताकर कमीशन वसूल रहे हैं।
इन कंपनियों पर मेहरबान हैं बड़े साहब
बता दें कि, जिन चहेते कंपनियों को टेंडर दिया जा रहा है उसमें L&t/ncc/mega/lcinfra/ PNG/ga infra/Gvpr/rithvik शामिल हैं। सूत्रों की माने तो जल जीवन मिशन में काम के लिए इन कंपनियों पर बड़े अफसर की खूब कृपा बरसती है।
संजय सिंह ने अनुराग श्रीवास्तव पर लगाए थे आरोप
बता दें कि, आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने योगी सरकार के पहले कार्यकाल में जल जीवन मिशन में हो रहे भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। संजय सिंह ने जब ये आरोप लगाया था उस समय महेंद्र सिंह विभाग के मंत्री थे। इसके साथ ही उन्होंने प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव और चीफ इंजीनियर आलोक कुमार सिन्हा पर भ्रष्टाचार करने क आरोप लगाया था। हालांकि, संजय सिंह के आरोपों के बाद सरकार कोई बड़ा कदम नहीं उठायी लेकिन योगी सरकार के दूसरे कार्याकाल में मंत्री जरूर बदल गए।
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ब्यूरोक्रेसी में भी है बड़े साहब की चर्चा
बहुत ही जल्द पर्दाफाश न्यूज आपको अवगत करायेगी कि किस स्तर पर कितना कमीशन के आधार पर जल जीवन मिशन में होता है टेंडर का खेल। जल जीवन मिशन योजना पूरी तरह से भ्रष्टाचार की जद्द में आकार बड़े—बड़े खेल कर रही है और इसके सूत्रधार ‘बड़े साहब’ हैं, जो कई मंचों पर अपने को मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के करीबी होने का दावा करते रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में ही नहीं बल्कि ब्यूरोक्रेसी में भी इन ‘बड़े साहब’ के कारनामों की खूब चर्चा हो रही है। ‘बड़े साहब’ के कारनामों की ख्याति अब धीरे धीरे पब्लिक डोमेन में आने लगी है। साथ ही साथ चर्चा का बाजार भी गर्म है कि इन साबह को इतनी शक्ति कहां से मिली है, जिसके चलते जल जीवन मिशन अपने मूल्य उद्देश्य से भटककर साबह के कृपा पर जिंदा है।