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Vinay Pathak Case: ‘जांच के खेल’ में बदल रही एजेंसियां, जब पूछताछ ही नहीं हो सकी तो कैसे होगी कार्रवाई?

By टीम पर्दाफाश 
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Vinay Pathak Case: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की कानून व्यवस्था का देशभर में गुणगान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का डंडा अपराधियों और भ्रष्टाचारियों पर खूब चल रहा है। प्रदेश में बड़े से बड़े अपराधी और बाहुबलियों पर शिकंजा कसा जा रहा है। इनके अवैध निर्माण पर बुलडोजर चल रहा है। लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप में फंसे कानपुर विवि. के कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ तमाम सबूत जुटने के बाद भी उन पर कार्रवाई नहीं हो रही है।

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एसटीएफ भी उनसे पूछताछ की जहमत नहीं उठा पा रही है। ऐसे में सवाल उठना ला​जमी है कि आखिर विनय पाठक को कौन बचा रहा है? तमाम सबूत ​मिलने के बाद भी वो अपने पद पर काबिज हैं और एसटीएफ उनतक नहीं पहुंच पा रही है?

117 लोगों से पूछताछ लेकिन विनय पाठक तक नहीं पहुंचे
प्रो. विनय पाठक के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की गई है। अभी तक मामले की जांच एसटीएफ कर रही है। बताया जा रहा है कि, एसटीएफ अभी तक इस मामले में 117 लोगों से पूछताछ कर सबूत जुटाए हैं। इन्हीं सबूत के आधार पर विनय पाठक के खिलाफ दर्ज मुकदमें में धाराएं भी बढ़ाई गईं। एसटीएफ की ओर से शासन को उपलब्ध कराई गई जांच रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है।

चेहतों के लिए हर नियम हुए दरकिनार
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रो. विनय पाठक ने चेहतों के लिए हर नियम को दरकिनार किया है। चेहतों के लिए पाठक कुछ भी करने के लिए तैयार थे। इसको लेकर अधिकारियों ने उन्हें अगाह भी किया था बावजूद इसके पाठक नियमों की अनदेखी कर चेहतों पर मेहरबानी दिखाते रहे। सूत्रों की माने तो एसटीएफ की पूछताछ में एकेटीयू, आगरा व कानपुर विवि के प्रशासनिक अधिकारियों के बयानों में इसकी पुष्टि हुई है।

पाठक पर कई सफेदपोश और ब्यूरोक्रेट्स का हाथ!
बताया जा रहा है कि विनय पाठक पर कई सफेदपोश और ब्यूरोक्रेट्स लोगों का भी हाथ है, जिसके कारण उन पर कार्रवाई करने से एसटीएफ बच रही है। सूत्र ये भी बता रहे हैं कि प्रो. विनय पाठक दिल्ली से लेकर लखनऊ में बैठे कई सफेदपोश लोगों से संपर्क में भी हैं। राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण पाठक पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है और वो अपने पद पर कायम हैं।

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