लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा(Uttar Pradesh Legislative Assembly) के मॉनसून सत्र (Monsoon Session) का आज दूसरा दिन है। समाजवादी पार्टी के विधायकों का दूसरे दिन भी सदन के अंदर और बाहर सपा विधायकों का प्रदर्शन जारी रहा। इसी बीच, बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती (Mayawati) के एक ट्विट ने सियासी गलियारों का तापमान बढ़ा दिया है।
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1. विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों व उसकी निरंकुशता तथा जुल्म-ज्यादती आदि को लेकर धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देना भाजपा सरकार की नई तानाशाही प्रवृति हो गई है। साथ ही, बात-बात पर मुकदमे व लोगों की गिरफ्तारी एवं विरोध को कुचलने की बनी सरकारी धारणा अति-घातक।
— Mayawati (@Mayawati) September 20, 2022
मायावती (Mayawati) के इस ट्वीट के कई राजनैतिक मायने निकाले जा रहे हैं। बता दें कि तीन साल पहले सपा-बसपा गठबंधन टूटने के बाद शायद पहली बार है जब मायावती (Mayawati) ने किसी मुद्दे पर सपा का समर्थन करती नजर आ रही हैं। इस ट्वीट के बाद राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि क्या 2024 लोकसभा चुनाव में फिर से मायावती और अखिलेश यादव एक साथ आ सकते हैं?
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बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती (Mayawati) ने मंगलवार को एक के बाद एक तीन ट्विट कर प्रदेश की भाजपा (BJP)सरकार पर तीखा हमला बोला है। तो वहीं उनकी मुख्य प्रतिद्वंदी पार्टी सपा (SP)के लिए उनकी तल्खी कम दिखाई दी। मायावती (Mayawati) ने विधानसभा के बाहर सपा के धरना प्रदर्शन के समर्थन में भी अपने ट्वीट में लिखा। हालांकि, उन्होंने अपने ट्वीट में सपा या अखिलेश के नाम का जिक्र अपने ट्वीट में नहीं किया है।
3. महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, बदहाल सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व कानून व्यवस्था आदि के प्रति यूपी सरकार की लापरवाही के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन नहीं करने देने व उनपर दमन चक्र के पहले भाजपा जरूर सोचे कि विधानभवन के सामने बात-बात पर सड़क जाम करके आमजनजीवन ठप करने का उनका क्रूर इतिहास है।
— Mayawati (@Mayawati) September 20, 2022
मायावती (Mayawati) ने लिखा कि विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों व उसकी निरंकुशता तथा जुल्म-ज्यादती आदि को लेकर धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देना भाजपा सरकार की नई तानाशाही प्रवृति हो गई है। साथ ही, बात-बात पर मुकदमे व लोगों की गिरफ्तारी एवं विरोध को कुचलने की बनी सरकारी धारणा अति-घातक।
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मायावती (Mayawati) का दूसरा ट्विट इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के पक्ष में था। इसमें उन्होंने लिखा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा फीस में एकमुश्त भारी वृद्धि करने के विरोध में छात्रों के आन्दोलन को जिस प्रकार कुचलने का प्रयास जारी है वह अनुचित व निंदनीय। यूपी सरकार अपनी निरंकुशता को त्याग कर छात्रों की वाजिब मांगों पर सहानुभतिपूर्वक विचार करे, बीएसपी की मांग है।
तीसरे ट्विट में बसपा (BSP) सुप्रीमो ने फिर से भाजपा सरकार पर हमला किया। उन्होंने लिखा कि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, बदहाल सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व कानून व्यवस्था आदि के प्रति यूपी सरकार की लापरवाही के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन नहीं करने देने व उनपर दमन चक्र के पहले भाजपा (BJP)जरूर सोचे कि विधानभवन के सामने बात-बात पर सड़क जाम करके आमजनजीवन ठप करने का उनका क्रूर इतिहास है।
जानें भाजपा और सपा ने इस ट्वीट पर क्या प्रतिक्रिया दी ?
मायावती (Mayawati) के ट्विट पर भाजपा के राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी (BJP Rajya Sabha MP Laxmikant Bajpai) ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक क्षेत्र में हर पार्टी के नेता को अपना विचार रखना स्वभाविक प्रक्रिया है। इसलिए अगर मायावती (Mayawati) ने कुछ बोला है तो भाजपा (BJP)को उसपर कोई आपत्ति नहीं है। हम अपना काम कर रहे हैं। ये लोग केवल ट्विट के शेर हैं। ट्विट के अलावा ये कुछ नहीं करते हैं।
वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया (Samajwadi Party spokesperson Anurag Bhadauria) ने मायावती के ट्विट और सपा-बसपा गठबंधन के सवाल को टाल दिया। कहा कि मैं इस मसले पर नहीं पड़ना चाहता हूं। भदौरिया ने आगे कहा कि समाजवादी लोग जनता की आवाज उठाते हैं। उनकी परेशानियों को सरकार तक पहुंचाने का काम करते हैं। अच्छी बात है कि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की आवाज में कोई (Mayawati) अपनी आवाज उठा रहा है। हम शुरू से जनता की आवाज उठा रहे हैं।
आज के ट्विट्स से वह मुस्लिम व अपने अन्य वोटर्स को देना चाहती हैं ये संदेश
बता दें कि पिछले कई ट्विट्स में मायावती सपा पर निशाना साध चुकी हैं। भाजपा के खिलाफ होने वाले ट्विट्स के शब्द काफी सॉफ्ट रहे हैं। मायावती अभी मुस्लिम वोटबैंक को अपने साथ करने की कोशिश में जुटी हैं। ऐसे में भाजपा के खिलाफ सॉफ्ट और सपा के खिलाफ हार्ड ट्विट्स से उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। आज के ट्विट्स से वह मुस्लिम व अपने अन्य वोटर्स को ये संदेश देना चाहती हैं कि वह भाजपा सरकार के खिलाफ हैं और जनता के मुद्दों को ही प्राथमिकता देती हैं।
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