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Gautam Adani के कब आएंगे अच्छे दिन? हिंडनबर्ग की सुनामी में अब बची मात्र 47.9 अरब डॉलर संपत्ति, अमीरों की लिस्ट में 25वें नंबर पर पहुंचे

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। अमेरिका की शॉर्ट सेलर फर्म, हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने अडानी समूह पर एक विस्फोटक रिपोर्ट पेश की। हिंडनबर्ग (Hindenburg) के हमलों ने अडानी समूह का साम्राज्य हिलाकर रख दिया है। कंपनी के शेयर दिन प्रतिदिन धराशाही होते जा रहे हैं। अडानी समूह के शेयर (Adani Share) लगातार गिरते जा रहे हैं।

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अडानी समूह की कंपनियों का कुल मार्केट कैप 135 अरब डॉलर तक गिर गया है। 24 जनवरी को अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी समूह को लेकर निगेटिव रिपोर्ट जारी की। 140 पन्नों की इस रिपोर्ट ने निवेशकों के विश्वास को हिला दिया। इसके बाद से अडानी समूह के शेयरों में भारी बिकवाली हाली है। अडानी की कमाई लगातार प्रभावित हो रही है। खुद गौतम अडानी की निजी संपत्ति गिर गई है।

फोर्ब्स बिलेनियर लिस्ट (Forbes Billionaire list) के मुताबिक गौतम अडानी जो एक महीने पहले तक दुनिया के तीसरे अमीर उद्योगपति थे, उनकी कुल संपत्ति आधे से भी कम हो गई है। सोमवार को उनका नेटवर्थ करीब 3 अरब डॉलर और गिर गया। दौलत में गिरावट का सिलसिला तीन हफ्तों से जारी है। इसी की नतीजा है कि 3 हफ्ते में उनकी संपत्ति 127 अरब डॉलर से घटकर मात्र 47.9 अरब डॉलर रह गई है। अमीरों की लिस्ट में गौतम अडानी गिरकर 25वें नंबर पर पहुंच गए है।

क्या से क्या हो गया?

अगर अडानी की संपत्ति की गिरावट का ग्राफ देखें तो 25 जनवरी 2023 को ब्लूमबर्ग इंडेक्स पर गौतम अडानी का नेटवर्थ 119 अरब डॉलर था। इससे ठीक एक दिन पहले ही हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट के आने के बाद मानो अडानी का किला धराशाही हो गया। अडानी के शेयर्स गिरने लगे। 25 दिनों में अडानी की संपत्ति गिरकर 5 ट्रिलियन डॉलर से नीचे गई।

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क्या है पूरा मामला?

शेयर बाजार में अडानी समूह का नुकसानदेय दौर तब शुरू हुआ था जब अमेरिका की शॉर्ट सेलर फर्म, हिंडनबर्ग रिसर्च ने समूह पर एक विस्फोटक रिपोर्ट पेश की। इसने समूह के बढ़ते कर्ज के बारे में चिंता जताई और अन्य बातों के अलावा, स्टॉक में हेरफेर और टैक्स हेवन के अनियमित उपयोग का आरोप लगाया। जबकि अडानी समूह ने हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है। इस रिपोर्ट के कारण निवेशकों और वित्तीय संस्थानों में चिंता बढ़ गई है, जिसके परिणामस्वरूप ग्रुप के सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर की कीमतों में लगातार गिरावट आई है।

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