लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव 2020 (UP Assembly Elections 2020) में सपा गठबंधन चित्त हो गया है। चुनाव में मिली करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) चुप्पी साधे लिए हैं। अब गठबंधन के साथी एक-दूसरे पर दोष मढ़ने लगे हैं। महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य (Mahan Dal President Keshav Dev Maurya) ने कहा कि गठबंधन के कुछ नेता अति आत्मविश्वास में थे। उन्होंने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को भी ओवर कॉन्फिडेंस (Over Confidence) में रखा। वहीं अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव (Pragatisheel Samajwadi Party President Shivpal Yadav ) ने संगठन में खामियों को हार के लिए जिम्मेदार बताकर इशारों में भतीजे पर निशाना साध दिया है।
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इस चुनाव में सपा गठबंधन के साथ रहे महान दल के प्रमुख केशव देव मौर्य (Keshav Dev Maurya) ने भी हार के बाद उन नेताओं पर सवाल उठाए हैं, जो जीत के बड़े-बड़े दावे कर रहे, लेकिन नतीजों ने उनकी पोल खोल दी। केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Dev Maurya) ने कहा कि गठबंधन के कुछ नेता बहुत हवा बना रहे थे। उनके पास खुद अपना वोट नहीं था, लेकिन वह दवे करते रहे। वे खुद तो अति आत्मविश्वास में थे ही अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को भी इसी में रखा। जब उनसे पूछा गया कि किसकी ओर इशारा कर रहे हैं तो मौर्य ने कहा कि इसमें गठबंधन के सभी साथी शामिल हैं।
सपा से गठबंधन में महज एक सीट पाने वाले शिवपाल यादव (Shivpal Yadav ) ने भी खामियों की ओर इशारा करना शुरू कर दिया है। संगठन में खामियों की बात कहकर उन्होंने सीधे सपा अध्यक्ष और गठबंधन के कैप्टन अखिलेश यादव की ओर अंगुली उठा दी है। एक ही सीट मिलने को लेकर चुनाव के बीच अपना दर्द जाहिर कर चुके शिवपाल यादव ने कहा कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के नेतृत्व में गठबंधन बना, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को बहुमत मिला है, तो इसमें कहीं ना कहीं खामियां रही हैं। कहीं न कहीं कुछ खामियां रह जाती हैं, उस पर हम सभी लोगों को चिंतन करना है। समीक्षा करनी है। फिर आगे काम करेंगे। चुनाव हमेशा संगठन के बल पर ही जीता जाता है, तो कहीं ना कहीं संगठन में खामियां हो जाती हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस हार को पचाकर सभी गठबंधन साथियों का साथ बने रहना मुश्किल है। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में जब हार पर मंथन होगी तो गठबंधन के साथी एक दूसरे पर दोष मढ़ेंगे और ऐसे में बिखराव हो सकता है। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की चुप्पी से संकट और बढ़ सकता है। वहीं, सपा के कुछ नेता अब दबी जुबान में कहने लगे हैं कि कुछ नेताओं के बड़बोलेपन ने नुकसान पहुंचाया। 2017 और 2019 में सपा ने कांग्रेस और बसपा के साथ गठबंधन किया था, लेकिन हार के तुरंत बाद गठबंधन की गांठें खुल गईं। ऐसे में इस बार भी पुराने अंजाम से इनकार नहीं किया जा सकता है।