Chandrayaan-3 : चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की कक्षा में धमाकेदार एंट्री ली। फिलहाल यह 164 km x 18074 km के ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) का अगला कदम चंद्रयान-3 के ऑर्बिट में कमी करना है। यह प्रक्रिया रविवार रात 11 बजे से शुरू होगी। अगले 17 दिन तक चंद्रयान-3 उसी तरह धीरे-धीरे चंद्रमा की ओर बढ़ेगा, जैसे-जैसे यह पृथ्वी से दूर गया था। लॉन्च के बाद तीन हफ्तों के दौरान पांच चरणों में इसरो ने इसे पृथ्वी से दूर भेजा था। इसके बाद इसे 1 अगस्त को पृथ्वी की ऑर्बिट से चंद्रमा की ओर सफलतापूर्वक भेजा गया। चंद्रयान 23 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा, जो इस मिशन की सबसे बड़ी चुनौती मानी जा रही है। इसरो ने ट्वीट करके कहा कि चंद्रयान-3 के सभी सिस्टम दुरुस्त हैं। सब कुछ ठीक तरह से काम कर रहा है। इस पर ISTRAC बेंगलुरु में मौजूद मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX) से लगातार निगरानी की जा रही है।
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चंद्रयान-3 से जुड़ा हर अपडेट देखिए
अगले 17 दिन ऐसा रहेगा चंद्रयान-3 का सफर
6 अगस्त 2023: रात 11 बजे चंद्रयान की ऑर्बिट को 10 से 12 हजार किलोमीटर वाली ऑर्बिट में डाला जाएगा।
9 अगस्त : दोपहर पौने दो बजे करीब इसके ऑर्बिट को बदलकर 4 से 5 हजार किलोमीटर की ऑर्बिट में डाला जाएगा।
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14 अगस्त : इसे घटाकर 1000 किलोमीटर किया जाएगा। पांचवें ऑर्बिट मैन्यूवर में इसे 100 किलोमीटर की कक्षा में डाला जाएगा।
17 अगस्त : प्रॉपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे।
18 व 20 अगस्त : डीऑर्बिटिंग होगी। यानी चांद के ऑर्बिट की दूरी को कम किया जाएगा। लैंडर मॉड्यूल 100 x 35 KM के ऑर्बिट में जाएगा।
23 अगस्त 2023: शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्रयान की लैंडिंग करवाई जाएगी।इस बार वो गलती नहीं होगी, जो पिछली बार थी
Chandrayaan-3 Mission Update:
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Lunar Orbit Insertion (LOI) maneuver was completed successfully today (August 05, 2023). With this, #Chandrayaan3 has been successfully inserted into a Lunar orbit.
The next Lunar bound orbit maneuver is scheduled tomorrow (August 06, 2023), around… pic.twitter.com/IC3MMDQMjU
— LVM3-M4/CHANDRAYAAN-3 MISSION (@chandrayaan_3) August 5, 2023
चंद्रमा पर 14 दिन तक प्रयोग करेंगे लैंडर और रोवर
चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रॉपल्शन मॉड्यूल हैं। लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे। प्रॉपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशंस का अध्ययन करेगा। इस मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चांद की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं। यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा।
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2008 में लॉन्च किया गया था चंद्रयान-1
चंद्रयान-1 को साल 2008 में लॉन्च किया गया था और यह सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया था। 2019 में लॉन्च किया गया चंद्रयान -2 भी सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया, लेकिन उसे तब झटका लगा जब उसका लैंडर अपने इच्छित प्रक्षेपवक्र से भटक गया था।