लखनऊ। उत्तर प्रदेश में टेंडर में चल रही धांधली को रोकने के लिए सरकार की तरफ से किए गए सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं। अधिकारी अपने करीबियों को टेंडर दिलाने के लिए कुछ भी कर गुजरने पर उतारू हैं। यही नहीं कई प्रमुख कंपनियों के टेंडर को भी बिना वजह बताए ही निरस्त कर दिया जा रहा है। ये मामला उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के गाजियाबाद के टेंडर से जुड़ा है, जहां अधिशाषी अभियन्ता अमन त्यागी का खेल उजागर हुआ है। तकनीकी मूल्यांकन की बात कहकर टेंडर को रिजेक्ट कर दिया गया है।
पढ़ें :- जहरीला कफ सिरप कांड : STF की जांच में बड़ा खुलासा, फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र से लिया ड्रग लाइसेंस, अब ड्रग इंस्पेक्टरों पर गिरेगी गाज
दरअसल, कंपनियों के टेंडर को निरस्त करने के पीछे एक बड़ी वजह भी विभाग के सूत्रों की तरफ से बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि, जिन कंपनियों को टेंडर पास होना होता है उससे मोटी रकम पहले वसूली जाती है, जिसके बाद उनके टेंडर को पास किया जाता है। यही नहीं जिन कंपनिया से मोटी रकम नहीं मिलती उनके टेंडर को ऐसे ही निरस्त कर दिया जाता है।
सबसे बड़ा सवाल ये है कि, अध्यक्ष नितिन रमेश गोकर्ण और आवास आयुक्त डा. बलकार सिंह जैसे अफसरों के रहने के बाद भी अधिशाषी अभियन्ता की तरफ से टेंडर में इस तरह का खेल किया जा रहा है। सबसे बड़ी बात ये है कि अधिशाषी अभियन्ता के मन में न तो सरकार का
और न ही प्रशासन का खौफ भी नजर नहीं आ रहा है, जिसके कारण ये अपनी मनमानी पर उतारू हैं और टेंडर में इस तरह की धांधली कर सरकार की भी किरकिरी कराते हैं।