जयपुर। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित संगठन बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) ने खरीदी गई 17 साल की एक नाबालिग की 33 साल के व्यक्ति से शादी कराने के मामले में राजस्थान के जयपुर में एफआईआर दर्ज कराया है। इस नाबालिग को पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले से खरीद कर लाया गया था और उसे खुद को उसकी तथाकथित नानी बताने वाली एक महिला ने बेचा था। महिला ने सगाई का झांसा देकर धोखे से नाबालिग का विवाह करा दिया। नाबालिग किसी तरह वहां से भाग निकली और इस मामले की सूचना बीबीए की टीम को मिली। सूचना पर तत्काल कार्रवाई करते हुए बीबीए के सदस्यों ने पीड़िता से मुलाकात की और उसे लेकर जवाहर सर्कल थाने पहुंची जहां पुलिस ने पीड़िता का बयान लेने के बाद एफआईआर दर्ज की।
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एफआईआर के अनुसार महिला ने वर पक्ष से पैसे लेने के बाद नाबालिग से झूठ बोला कि अभी सिर्फ उसकी सगाई होगी और विवाह बाद में उसकी मर्जी से होगा। लेकिन रिश्तेदार ने धोखे से मंदिर में नाबालिग की शादी करा दी। तीन-चार दिन तक लगातार यौन उत्पीड़न झेलने के बाद नाबालिग किसी तरह वहां से भाग निकली और एक रात पार्क में बिताने के बाद चाइल्डलाइन के दफ्तर पहुंची जहां बचपन बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता मौजूद थे। उन्होंने बच्ची की काउंसलिंग की और फिर थाने ले जाकर एफआईआर दर्ज कराया। पुलिस ने इस मामले में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 और लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (संशोधित) सहित तमाम अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया है।
बताते चलें कि नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ चला रखा है। बाल विवाह के खिलाफ जमीनी स्तर पर देश के सबसे बड़े इस अभियान की शुरुआत 16 अक्तूबर, 2022 को हुई। इस दौरान देश के 26 राज्यों के 500 से अधिक जिलों के करीब दस हजार गांवों में 70 हजार से अधिक महिलाओं और बच्चों की अगुआई में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर दीए जलाए गए और केंडल मार्च निकाले गए।
बचपन बचाओ आंदोलन के कार्यकारी निदेशक धनंजय टिंगल ने कहा कि अभी भी बड़े पैमाने पर बच्चियां बाल विवाह की शिकार हो रही हैं और अब उन्हें उनके परिजनों द्वारा ही बेचे जाने की घटनाओं में जिस तरह इजाफा हो रहा है, वह चिंताजनक है। हर साल देश भर में तमाम जगहों से हजारों लड़कियों को बाल विवाह के चंगुल से मुक्त कराया जा रहा है फिर भी इस तरह की घटनाओं में कमी नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि सतत सतर्कता और जागरूकता से ही बाल विवाह की घटनाओं पर रोक लग सकती है। हमने देश को बाल विवाह और बाल श्रम के अभिशाप से देश को मुक्त कराने के संकल्प लिया है और इस दिशा में प्रयासों में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।