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माफिया हामिद अशरफ ने रेलवे की साइट हैक कर कमाये करोड़ों रुपये, योगी सरकार ने कुर्क की 1.08 करोड़ संपत्ति

By संतोष सिंह 
Updated Date

बस्ती।  इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) के वेबसाइट को हैक कर देश भर में सनसनी फैलाने वाले माफिया  हामिद अशरफ(Hamid Ashraf) की 1.08 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त किया गया है। बस्ती जिला प्रशासन (Basti District Administration) ने गैंगेस्टर एक्ट  (Gangster Act) में कार्रवाई करते हुए माफिया हामिद अशरफ (Mafia Hamid Ashraf) के द्वारा अपराध कर बनाई गई 1.08 करोड़ की संपत्ति को कुर्क किया है।

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हामिद ने जिन-जिन रिश्तेदारों के नाम काली कमाई से संपत्ति को खरीदा था, जिला प्रशासन (District Administration) ने उसे भी कुर्क किया है। नायब तहसीलदार हरैया शौकत अली (Naib Tehsildar Haraiya Shaukat Ali) व नायब तहसीलदार कृष्ण मोहन यादव (Naib Tehsildar Krishna Mohan Yadav) की टीम ने कुर्की की कार्रवाई अन्तर्गत धारा 14(1) उ.प्र गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम, 1986 के तहत की है। हामिद अशरफ की कुल 1.08 करोड़ रुपये की संपत्ति को कुर्क किया गया है। अभियुक्त हामिद अशरफ के एचडीएफसी बैंक, घनसवली, नवी मुंबई के खाता संख्या 50100202803786 व 20200027871898 को सीज किये जाने हेतु बैंक के प्रबंधक को रिपोर्ट प्रेषित की गई है।

बता दें कि, हामिद अशरफ (Hamid Ashraf) ने रेलवे की साइट को हैक कर तहलका मचा दिया था।  सीबीआई (CBI)ने बेंगलूरू से हामिद को बस्ती से अरेस्ट किया था। कुछ दिन बाद जमानत पर आने के बाद वो फिर से रेलवे के वेबसाइट को हैक कर तत्काल टिकट बनाने लगा था। इसके बाद, वर्ष 2021 में पुलिस ने उसे फिर अरेस्ट किया था। हर्रैया थाने में उस के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।

रेलवे साइट को हैक करने वाला हामिद आठवीं कक्षा तक पढ़ा है, लेकिन उसने हैकिंग के लिए सॉफ्टवेयर बनाया था। जब तत्काल टिकट बुकिंग के लिए रेलवे की साइट खुलती थी तो वो उसको हैक कर लेता था, और तत्काल टिकट को बुक कर ज्यादा दाम पर उसे बेचता था। इसके बाद, धीरे-धीरे उसने अपना नेटवर्क मुंबई, बंगलुरु, कोलकाता समेत कई राज्यों में फैला लिया। वो अपने बनाये सॉफ्टवेयर को टिकट दलालों को फ्रेंचाईजी देने लगा। देश के कई राज्यों में हामिद के एजेंट सक्रिय हो गए। हर दिन सुबह तत्काल बुकिंग के लिए जब रेलवे की साइट खुलती थी तो उसे हैक कर लेते थे और तत्काल कोटे के टिकट को पहले बुक कर लेते थे।  इसकी वजह से रेलवे के विंडो पर खड़े लोगों को टिकट नहीं मिल पाता था।  जिनको उसने फ्रेंचाईजी दे रखी थी, उनके सॉफ्टवेयर का कंट्रोल हामिद अपने पास रखता था। धीरे-धीरे यह बहुत बड़ा सिंडिकेट बन गया। वो सभी एजेंटों से प्रति टिकट सेवा शुल्क लेता था। जो लोग पैसा नहीं देते थे, वो उनका सॉफ्टवेयर बंद कर देता था।

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