नई दिल्ली। अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबानी शासन (Taliban rule) के लौटने पर पाकिस्तान (Pakistan) की खुशी का ठिकाना नहीं था, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (Pakistani intelligence agency) आईएसआई (ISI) के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट फैज हमीद (Lt. Faiz Hameed) जश्न माना रहे थे। लेकिन अब तालिबान शासन ने पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, तालिबान ने 130 साल पुरानी पाकिस्तान-अफगानिस्तान बॉर्डर डूरंड लाइन (Pakistan-Afghanistan border Durand Line) को मनाने से इंकार कर दिया है।
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अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री (Defense Minister of Afghanistan) और तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मौलवी याकूब मुजाहिद (Maulvi Yakub Mujahid) ने दोनों देशों के बीच का बॉर्डर को सिर्फ ‘काल्पनिक रेखा’ करार दिया है। मौलवी याकूब मुजाहिद ने कहा है कि अफगान लोग जब चाहेंगे तब ये मुद्दे को उठाया जाएगा। फिलहाल अभी वह किसी के साथ नया युद्ध शुरू करना नहीं चाहते। इससे पहले 2021 में तालिबान ने पाकिस्तानी सेना (Pakistani army) को तारबंदी करने से रोक दिया था।
गौरतलब है कि पाकिस्तानी हिस्से वाले पश्तून क्षेत्रों (Pashtun areas) पर अफगानिस्तान संप्रभुता (Afghanistan sovereignty) का दावा करता रहा है। इस क्षेत्र में पूर्व संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्र और उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत के हिस्से शामिल हैं। 1893 में ब्रिटिश भारत के सचिव सर मोर्टिमर डूरंड और अफगानिस्तान के शासक अब्दुर रहमान खान के बीच यह सीमा समझौता हुआ था। वहीं, 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान इसे अपनी सीमा बताता है।
9/11 आतंकी हमले के बाद लोगों के डूरंड रेखा के पार आने-जाने पर रोक लगा दी गई है। इस फैसले से पश्तून लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान सुरक्षा और तस्करी पर रोक का हवाला देते हुए 2,640 किमी लंबी डूरंड लाइन पर तारबंदी कर रहा है, लेकिन अफगानिस्तान ने तारबंदी को लेकर आपत्ति जाहिर की है।