नई दिल्ली। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में स्तन कैंसर के नए वायरस (MUPP-1 Gene) की खोज की गई है। इससे स्तन कैंसर पीड़ित महिला का इलाज करने में आसानी होगी। पहले वायरस का पता लगाने में समय बर्बाद हो जाता था। शोधार्थी गजाला सुल्तान के अध्ययन में नए वायरस सामने आए, जो अब तक रिपोर्ट नहीं किए गए थे।
पढ़ें :- शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने हुमायूं कबीर को दी चेतावनी, बोले- बाबर के नाम पर मस्जिद बनाई तो उसका भी वही हाल होगा
एएमयू (AMU) के कंप्यूटर साइंस विभाग की शोधार्थी गजाला सुल्तान (Gazala Sultan, a research scholar in the Department of Computer Science) ने तीन साल तक 100-100 स्तन कैंसर रोगियों और स्वस्थ महिलाओं के नमूनों का बल्क आरएनए-सीक्वेंसिंग, सिंगल-सेल आरएनए-सीक्वेंसिंग, माइक्रोरेरी और एक्सोम सीक्वेंसिंग तकनीक का उपयोग कर स्तन कैंसर रोगियों और स्वस्थ नमूनों का तुलनात्मक अध्ययन किया। उन्होंने नेक्स्ट-जनरेशन सीक्वेंसिंग (NGS) तकनीक से कैंसर कोशिकाओं की जटिल संरचना और विविधता का पता लगाया। यह तकनीक कैंसर जीनोम की गहराई से पड़ताल करने में सक्षम है।
विज्ञापन
कंप्यूटर साइंस विभाग की प्रो. स्वालेहा जुबैर (Prof. Swaleha Zubair, Department of Computer Science) ने बताया कि स्तन कैंसर में नए एमयूपीपी-1 जीन की खोज की गई है। साथ ही मशीन लर्निंग आधारित मॉडल भी विकसित किए गए। इसकी मदद से कैंसर कोशिकाओं के छिपे हुए तरीके और कैंसर के फैलाव की प्रक्रिया को और गहराई से समझा जा सका। इससे कैंसर के इलाज के लिए संभावित ड्राइवर जीन की पहचान आसान हो सकती है।
तैयार किए दो नए संसाधन
बीआरसीएएफईएम डेटाबेस : इसमें स्तन कैंसर से जुड़े जीन, उनकी भूमिका, दवाओं की संरचना और क्लिनिकल डेटा को शामिल किया गया है। यह शोधकर्ताओं और आम लोगों के लिए जानकारी का उपयोगी स्रोत बनेगा।
पढ़ें :- “सेवा भारती ने स्कूली बच्चों में जगाई जागरूकता—बाल विवाह रोकने का दिया सशक्त संदेश”
जेईएनईएक्सएटी टूल : यह टूल ओमिक्स डेटा को आसानी से विश्लेषित और विजुअलाइज (देखा हुआ) करने की सुविधा देता है। इसमें हीटमैप, वोल्केनो प्लॉट्स, नेटवर्क प्लॉट्स, डॉट प्लॉट्स, पीसीए, सर्वाइवल एनालिसिस जैसे फीचर उपलब्ध हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि जैविक शोधकर्ता बिना प्रोग्रामिंग सीखे बड़े डेटा का विश्लेषण कर पाएंगे।