अयोध्या। राम जन्मभूमि परिसर (Ram Janmabhoomi Complex) में रामलला की अचल मूर्ति इसी माह तय हो जाएगी। काशी के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती (Shankaracharya of Kashi Vijayendra Saraswati) , काशी के ही प्रसिद्ध विद्वान गणेश्वर द्रविड़ (Ganeshwar Dravid) और दक्षिण भारत के कुछ प्रमुख संतों की सहमति के बाद प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha) के लिए तीन मूर्तियों में से एक मूर्ति का चयन किया जाएगा। मूर्ति के चयन में आईआईटी हैदराबाद (IIT Hyderabad) की रिपोर्ट भी आधार बनेगी।
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राममंदिर में दो मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha) की जानी है। एक अचल मूर्ति व दूसरी चल मूर्ति के रूप में स्थापित होगी। वर्तमान में पूजित-प्रतिष्ठित रामलला की मूर्ति को उत्सव यानी चल मूर्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया जाएगा। नई मूर्ति को अचल मूर्ति के रूप में स्थापित किया जाएगा। अचल मूर्ति का निर्माण रामसेवकपुरम स्थित कार्यशाला में किया जा रहा है। कुल तीन मूर्तिकार तीन मूर्तियां बना रहे हैं।
दो मूर्तियां कर्नाटक से आई श्याम शिला (Shyam Shila) पर बन रही हैं जबकि एक मूर्ति राजस्थान के संगमरमर पत्थर पर बन रही हैं। तीनों मूर्तियों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इनमें से सर्वोत्तम मूर्ति का चयन किया जाना है। इसके लिए काशी के शंकराचार्य समेत दक्षिण के संतों की सहमति ली जाएगी। दक्षिण में ज्यादातर मंदिरों में विराजमान मूर्तियां श्याम शिला की होती हैं, ऐसे में दक्षिण के संतों से मार्गदर्शन लेने का निर्णय हुआ है।
मूर्ति चयन में इन बिंदुओं का रखा जाएगा ध्यान
ट्रस्ट के सूत्रों ने बताया कि आईआईटी हैदराबाद (IIT Hyderabad) की रिपोर्ट भी मूर्ति के चयन का आधार बनेगी। तीनों पत्थरों की गुणवत्ता की जांच आईआईटी हैदराबाद (IIT Hyderabad) से ही कराई गई है। मूर्ति के चयन में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि किस पत्थर की सबसे लंबी आयु है और चमक कितने वर्षों तक बरकरार रहेगी। मूर्ति की रोजाना पूजा-अर्चना श्रृंगार आदि होगा। चंदन, तिलक आदि लगाए जाएंगे तो मूर्ति पर दाग या निशान तो नहीं बनेंगे। मूर्ति पर प्रकाश फैलाने पर तीनों में से कौन सी मूर्ति सबसे भव्य व आकर्षक दिखेगी। चूंकि रामलला की मूर्ति बालक रूप में होगी, इसलिए बालसुलभ कोमलता किस मूर्ति में ज्यादा झलकेगी? इन सभी का ध्यान रखकर चयन किया जाएगा।