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भगवान जगन्नाथजी की बहुदा यात्रा (या बहुड़ा यात्रा) का विशिष्ट धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व है। मान्यता है कि बहुड़ा यात्रा के दौरान रथ खींचने से सुख व सौभाग्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। ओडिशा में बहुदा का अर्थ है वापसी। भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ अपने अपने रथ से श्रीमंदिर वापस लौटते हैं।
‘छेरा पहनरा’
पुरी के ‘राजा’ गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब अपराह्न ढाई बजे से साढ़े तीन बजे के बीच रथों की औपचारिक सफाई करेंगे, जिसे ‘छेरा पहनरा’ के नाम से जाना जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि इस वापसी यात्रा के साथ ही वर्षा ऋतु का शुद्धिकरण होता है और धरती पर पुनः संतुलन स्थापित होता है। शास्त्रों के अनुसार, बहुदा यात्रा त्रेता युग में भगवान राम के अयोध्या लौटने की स्मृति को भी दर्शाती है। वहीं द्वापर युग में श्रीकृष्ण का द्वारका लौटना इसी भाव का विस्तार है। बहुदा यात्रा इस बात की प्रतीक है कि हर यात्रा की एक वापसी होती है, हर शुरुआत की एक समाप्ति और हर प्रेम की एक पुनर्मुलाकात।